SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 559
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ 1. सेठिया पोरवाल 2 कपोला पोरवाल 3. पद्मावती पोरवाल 4. गूर्जर पोरवाल 5. जांगडा पोरवाल 6. नेमाडी और मलकापुरी पोरवाल 7. मारवाडी पोरवाल 8 पुरवार और 9. परवार । इन शाखाओं के नाम से यह प्रतिध्वनित होता है कि उनके नाम क्षेत्र के हिसाब से पड़े कौन-सी शाखा की स्थापना कब हुई? इस बात का कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता है। उस सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि जब भी इस जाति के मूल स्थान पर कोई आक्रमण हुआ, तब अपना स्थान त्याग कर ये अन्यत्र जाकर बस गए। उदाहरणार्थ जब प्राग्वाट प्रदेश तथा भिन्नमाल पर आक्रमण हुए और राज्य परिवर्तन हुआ तो अनेक कुलों के साथ प्राग्वाट ज्ञातीय कुल भी थे जो प्राग्वाट ज्ञातीयकुल सौराष्ट्र एवं कुंडल महा स्थान में जाकर स्थायी रूप से बस गए थे, वे कालांतर में सौराष्ट्रीय अथवा सौरठिया पौरवाल और कुण्डलिया तथा कपोला पौरवाल कहलाये। ऐसे ही अन्य शाखाओं के सम्बन्ध में जानना । I अब हम पोरवालों की गोत्रों की चर्चा करेंगे। मेरुतुंग सूरि द्वारा लिखी गई अन्चलगच्छीय पट्टावली में निम्नांकित गोत्रों का उल्लेख किया गया है। - 1. गोतम, 2. सांस्कृत 3. गार्ग्य 4. वत्स 5. पाराशर 6. उपमन्यु 7. वंदल 8. वशिष्ट 9. कुत्स 10. पौलकश 11. काश्यप 12. कौशिक 13. भारद्वाज 14. कपिष्ठल 15. सारंगिरि 16. हारीत 17. शांडिल्य और 18. सनिकि । अन्य कुछ गोत्र विलुप्त हो गये जिनमें पुष्पायन आग्नेय पारायण कारिस, वैश्यक माढर प्रमुख हैं । उपर्युक्त गोत्र अधिकतर ब्राह्मण जातीय हैं। इससे यह प्रमाणित होता है कि उक्त गोत्रीय पोरवाल जातीय कुलोंकी उत्पति ब्राह्मण कुलों से हुई । पद्मावती पोरवाल शाखा के अट्टाईस गोत्र इस प्रकार बताये गए हैं- 1. यशलहा 2. डगाहडा 3. कूचरा 4. चरवाहदार 5 ननकरया 6 चौपड़ा 7 सौपुरिया 8. तवनगारिया 8. कर्णजोल्या 10. राहरा 11. हिंडोणीयासधा 12. आमोत्या 13. मंडावरिया 14 लक्षटकिया 15. समरिया 16. दुष्कालिया 17. चौदहवां 18. मोहरोवाल 19. रोहल्या 20. धनवंता 21. विडया 22. बोहतरा 23. पंचोली 24. उर्जरघौल 25. कुहणिया 26. सूदासधा 27. अधेडा और 28. मोहलसधा । जांगड़ा पोरवाल या पोरवाड शाखा के चौबीस गोत्र इस प्रकार बतायें गए हैं 1. चौधरी, 2. सेठ्या 3. महावद्या 4. दानगढ 5. कामल्या 6. धनोत्या 7. रत्नावत 8. फरक्या 9. काला 10. कैसोटा 11. धारया 12. मून्या 13. वेद 14. मेथा 15. धडया 16. मंडवाच्या 17. नभेपुत्या 18. भूत 19. डवकरा 20. खरड्पा 21. मादल्या 22. उघा 23. बाड़वा और 24 सरखंडया नेमाड़ी और मलकापुरी पोरवाड़ के गोत्रों के सम्बन्ध में श्री लोढा ने लिखा है कि कुलभाटों से सम्बन्ध विच्छेद हो जाने से उक्त शाखाओं में गोत्र धीरे धीरे विलुप्त हो गये और उस समय उनमें गोत्रों का प्रचलन की बन्द हो गया है । वीसा मारवाडी पोरवाल के गोत्रों की सूची मारवाड़ के पौरवालों की सूची में आगई है । क्षेत्र के मान से जिन पोरवाल कुलों की पृथक गोत्रों का उल्लेख किया गया है उसका विवरण इस प्रकार है - सेवाड़ी की कुल गुरु पौषधशाला गोड़वाड़ भ्रांत का सेवाड़ी ग्राम बालीनगर से कुछ दूरी पर स्थित है । यहाँ की पौषधशाला राजस्थान की अधिक प्राचीन पौषधशालाओं में गिनी जाती हैं। इन पौषधशालाओं के भट्टारकों के आधिपत्य में ओसवाल और प्राग्वाट जाति के कई कुलों का लेखा है । इनमें प्राग्वाट जाति के निमनांकित चौदह गोत्र भी हैं। यथा 1. कांसिद्रा गोत्र चौहान 2. कुंडसुगोत्रीय खेडा चौहान 3 हरणगोत्र चौहान 4. चन्द्रगोत्र परमार 5. कुडालसा गोत्र Education Tote हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 67 हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति www.jainelibrary.or
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy