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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ चौहान 6. तुंगीयानागोत्र चौहान 7. कुंडल गोत्रीय 8. अग्निगोत्रीय 9. डीडोलचा गोत्रीय 10. आनन्द गोत्रीय 11. विशाल गोत्रीय 12. बाघरेचा चौहाण 13. गोत गोत्र 14. धारगोत्रीय । घाणेराव की कुल गुरू पौषधशाला इनके आधियत्य में प्राग्वाट जाति की निम्नलिखित छब्बीस गोत्रों का लेखा है 1. भडलपुरा सोलंकी 2. वाडेलिया सोलंकी 3. कुम्हार गोत्र चौहाण 4. भुरजभराणिया चौहाण 5. दुगड़गोत्र सोलंकी 6. मुदडीया काकगोत्र चौहान 7. लांबगोत्र चौहाण 8. ब्रह्मशांति गोत्र चौहाण 9. बडवाणिया पंडिया 10. बडग्रामा सोलंकी 11. अंबावगोत्र सोलंकी 12. पोसनेचा चौहाण 13. कछोलियावाल चौहाण 14. कासिद्रगोत्र तुमर 15. साकरिया सोलंकी 16. ब्रह्मशांति गोत्र राठोड़ 17. कासवगोत्र राठोड़ 18. मणाडिया सोलंकी 19. स्याणवाल गहप्रोत 20. जाबगोत्र चौहाण 21. हेरूगोत्र सोलंकी 22 निवजिया सोलंकी 23. तवरेचा चौहाण 24. बूटा सोलंकी 25. सीपरसी चौहान 26. खिमाणवी परमार सिरोही की कुल गुरू पौषधशाला - इसके आधियत्य में निम्नलिखित बयालिस गोत्रों का लेखा है 1. बांकरिया चौहाण 2. विजयानन्दगोत्र परमार 3. गोतमगोत्रीय 4, स्वेतविर परमार 5. धुणिया परमार 6. विमलगोत्र परमार 7. रत्नपुरिया चौहाण 8 पोसीत्रा गोत्रीय 9. गोयलगोत्रीय 10. स्वेतगोत्र चौहाण 11. परवालिया चौहाण 12. कुंडल गोत्र परमार 13. उडेचागोत्र परमार 14. भुणशखा परमार 15. मंडाडियागोत्रीय 16. गूर्जर गोत्रीय 17. भीलडेचा बोहरा 18. नवसरागोत्रीय 19. रेवतगोत्रीय 20. डमालगोत्रीय 21. नागगोत्र बोहरा 22. वर्द्धमान गोत्र बोहरा 23. डणगोत्र परमार 24. विशाल परमार 25. बीबलेचा परमार 26. माढर गोत्रीय 27. जाबरिया परमार 28. दताणिया परमार 29. मांडवाडा चौहाण 30. काकरेचा चौहाण 31. नाहर गोत्र सोलंकी 32. वोरा राठोड मंडलेचा 33. कुमारगोत्रीय 34. घीणोलिया परमार 35. मलाणिया परमार 36. कासब गोत्र परमार 37. वसन्तपुरा चौहाण 38. नागगोत्र सोलंकी 39. आंवल गोत्र कोठारी 40. बाबा गोत्रीय 41. वोरागोत्रीय और 42. कोलरेचा गोत्रीय । बाली की कुलगुरू पौषधशाला - इनके आधिपत्य में आठ गोत्रों का लेखा है । यथा - 1. रावल गोत्रीय 2. अंबाई गोत्रीय 3. ब्रह्मशंता गोत्रीय चौहाण 4. जैसलगोत्र राठोड़ 5. कासब गोत्र 6. नीबगोत्र चौहाण 7. साकरिया चौहाण और 8 फलवधा गोत्र परमार । पौषधशालाओं के आधिपत्य में जिन जिन गोत्रों का लेखा है, उन्हें देखने से यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित होता है कि उनकी उत्पत्ति क्षत्रिय कुलों से हुई । उपर्युक्त विवरण के आधार पर कुछ तथ्य सहज ही उभरकर हमारे सामने उपस्थित होते हैं । जैसे 1. पोरवाल जाति एक प्राचीन जाति है । यह जैन और वैष्णव मतावलम्बी है । 2. पोरवाल जैनों की उत्पत्ति जैनाचार्य के उपदेश से हुई अर्थात् जैनाचार्य से प्रतिबोध पाकर पौरवाल जाति के लोगों ने जैनधर्म अपनाया । 3. इसकी शाखायें क्षेत्रों के आधार पर है । जो जिस क्षेत्र में निवास करते थे, उसीके आधार पर उनको पुकारा जाने लगा । कालांतर में उसने एक शाखा का रूप ले लिया। हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 68 हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति www.ainelib
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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