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________________ Educatiduram श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ || 7 || भव्य विमा - स्वर - भाल रखें हृदय विशाल, सच्चे समाज शिक्षक, युवा पथ प्रदर्शक, महायशस्वी, तपस्वी, आध्यात्मिक ज्ञानी है । संयम पथ - पथिक, ध्यान-योगी हैं अधिक, मानवता के पुजारी, पारदर्शी उपकारी, 'पारदर्शी का वन्दन करते अभिनन्दन, मृदुल स्वभावी गुरु, मधु मम वाणी है । जिन - धर्म प्रचारक, सम्प की निशानी हैं । हेमेन्द्र सूरीश्वरजी, सन्त स्वाभिमानी है । ।। 8 ।। राष्ट्रसन्त शिरोमणि, हेमेन्द्र सूरीश्वरजी, प्रतिष्ठाएँ उपधान, संघ- यात्राएँ महान्, तप - दीक्षा समारोह, महिमा अपार है । कोकिल-कंठी आवाज, जिन-शासन के ताज, झुकता जैन समाज मानता संसार है । काव्यांजलि है अर्पण कर लें स्वीकार हैं । तीन थुई समाज के, आप कर्णधार है । श्री विजय हेमेन्द्र सूरीश्वर अष्टक सभी संपदा त्याग कर धारा संत-स्वरूप । - बालकवि मनुराजा प्रचडिया मंगलकलश, 394, सर्वोदय नगर, आगरा रोड, अलीगढ़ - 202001. बाहर-भीतर एक से बने श्रमण अनुरूप 1|1|| देखा आगम- आंख से, जग को भली प्रकार । नश्वरता हरदम दिखी, नैतिकता के द्वार 1121 संयम औ' तप-तेज से किया कर्म का नाश । कर्म निर्जरा से जगा, भीतर परम प्रकाश ||3|| लोभ पाप का बाप है, त्यागा उसे त्वरन्त । कौतुक सभी कषाय के व्यर्थ किये भगवंत 11411 चय संचय को त्याग कर हुये पूर्णतः रिक्त | अंतरंग आकाशमय, किया ध्यान अतिरिक्त 115।। अनेकांत के अर्क हो, हे सूरीश्वर देव । वाक् द्वन्द्व सब मिट गये, वंदे तव अतएव ।।6।। सदाचार के ब्याज से, दिये सभी उपदेश । जियो स्वयं जीवें सभी महावीर सन्देश |7|| गुरुवर पाकर धन्य हैं, जग के लोग तमाम । हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 78 सभी वंदना कर रहे, नियमित सुबहू शाम 118 || हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति www.relibrary.org
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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