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________________ ducatio श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ जागी जब दीक्षा प्यास, ज्ञानी गुरु की तलाश, ।। 3 ।। मिले हर्ष विजयजी, आशीर्वाद पाया है । आषाढ़ शुक्ला द्वितीया, उन्नीसौ निन्याणु साल, भीनमाल नगर में, उत्सव सजाया है । तपस्वीरत्न सरल-स्वभावी मुनि प्रवर, हर्ष विजयजी हस्ते, दीक्षा-दान पाया है । मुनि हेमेन्द्र विजय शुभ नाम दिया गुरु, 'पारदर्शी' तीन थुई, संघ हरषाया है । || 4 || ज्ञान लिया ध्यान किया, तन को तपाय लिया, मुनि हेमेन्द्र विजय, सेवा मन भाई है । ध्यान-साधना महान, श्वेत खादी परिधान, तेजस्वी-तपस्वी गुरु, वाचा - सिद्धि पाई है । बच्चों को दें सुसंस्कार, किया गुरु उपकार, जिन - धर्म की भावना, हृदय जगाई है । 'पारदर्शी उपकारी, जग-जन हितकारी, हेमेन्द्र विजयजी में, समता समाई है । 11 5 11 विश्व पूज्य गुरुदेव, श्री राजेन्द्र सूरीश्वर, तीन स्तुति का सिद्धांत, प्राचीन बताया है । धन- भूपेन्द्र - यतीन्द्र, फिर आए विद्याचन्द्र, तीन थुई समाज का गौरव बढ़ाया है । पंचम थे पट्टधर, सिद्ध क्षेत्र पाया है । फली यों भविष्यवाणी, आचार्य कहाया है । आचार्य श्री विद्याचन्द्र सूरीश्वर गुरुदेव, 'पारदर्शी' छट्टे पाट, बिराजे हेमेन्द्र मुनि, 11 6 11 दस फरवरी सन् उन्नीसौ तिर्यासी वर्ष, आचार्य का उच्च पद, श्रीसंघ प्रदान किया, गांव-नगर-शहर, पैदल ही घूमकर, जीओ और जीने दो का, सन्देश सुनाया है । शुद्ध आचार-विचार, किया अहिंसा प्रचार, 'पारदर्शी' गुरुदेव, सुमार्ग दिखाया है । आहोर में श्रीसंघ ने, उत्सव मनाया है । हेमेन्द्र सूरीश्वरजी, शासन दिपाया है । हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 77 हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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