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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन प्रथा मंगल कामना -साध्वी डॉ. सुशील जैन, 'शशि' त्याग और बलिदान की धरती राजस्थान । ग्राम बागरा धन्य है, जन्में संत महान् ।। ज्ञानचंदजी थे गुणी, श्रावक श्रद्धावान । धर्मपत्नी उजमावती थी ज्ञानी गुणवान ।। पूनमचंद जन्म पा, किया ज्ञान आलोक । तमस मिटा अज्ञान का, हर्षा लोकालोक ।। हर्षविजय के चरण में संयम लिया स्वीकार । हेमेन्द्र विजय के नाम से, जाने सहु संसार ।। अमृत महोत्सव जन्म का, आया है सुखकार । दीक्षा हीरक प्रसंग पर, हर्षित है नर-नार ।। मन की मंगलभावना, देते हैं श्रद्धाभाव । 'सुशील' चिरायु तुम रहो, पूरे सबके चाव ।। कोटि कोटि वंदन करें : -अश्विनी कुमार आलोक निष्ठापूर्वक कर रहे धर्म-ध्यान, उत्थान | जग तेरा कृतज्ञ है ले महापंथ का दान ।।1।। सारे तीर्थों में हुई जन्म भूमि सिरमौर । अनुगूंज आकाश में धन्य धन्य जालोर ।।2।। जहां बागरा ग्राम में जन्मे पूनमचंद । ज्यों पुष्पों की गोद में आलोड़ित मकरंद ।।3।। जिसने भी देखा, कहा यह तो वही महान् । जिसके भाल सुचंद्र से संरक्षित है ज्ञान ।।4।। योगी, ज्ञानी ने कहा भावी जीवन मर्म । यह देगा संसार को मानवता का धर्म ।।5।। इसके सुभग ललाट पर बहुत विलक्षण रेख । नहीं नयन रूक पा रहे मन नहीं थकता देख ।।6 || हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 72 हेमेन्द्र ज्योति * हेगेन्द्र ज्योति is Education internal
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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