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________________ fucation श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ आलोकित हृदय हृदय हो सत्य अहिंसा के उपदेशक विश्वशांति के सुख दाता । त्रिस्तुतिक संघ के गौरव, गुरुगच्छ के त्राता ।। सकल समाज के पूज्य, ऋषभ के भाग्य विधाता । मेरे कवि का कोमल हृदय, तेरे ही गुण गाता ।। तुझको शत, अभिनन्दन करता, अपना शीश नवाता । इस ऋषभ से गुरु तेरा जनम जनम का नाता ।। है मुझको विश्वास गुरुवर, अंधकार मिटा देंगे । इस समाज के जन-जीवन को उपहार नया देंगे ।। हे गुरुदेव ! तेरी और तेरे आदर्शों की जय हो । तेरे अभिनन्दन ग्रन्थ दीपों से, आलोकित हृदय हृदय हो ।। दीपे थारू नाम (तर्ज- टीलडी रे मारा प्रभुजी ने) -मुनि ऋषभचन्द्रविजय 'विद्यार्थी हे.. दीपे थारु नाम हेमेन्द्र सूरि राया. 2 .... जैन शासन केरु नाम थें दीपाव्यु जग मे थे धन्य कीधी काया ओ सूरिजी मारा दीपे थारुं नाम.... ।। 1 ।। मरुधर देषे गांव बागरा सौभागी वीर वाणी अमृत पाव्यु ओ सूरिजी मारा दीपे थारुं नाम ... ।।2।। - मुनि प्रीतेशचन्द्रविजय विरल विभूति थारा गुण जग गावे । जन्म लियो थे महाभागी ओ सूरिजी मारा दीपे थारुं नाम ... ।। 3 ।। नाम गगन मांही गाजे ओ सूरिजी मारा दीपे थारुं नाम... ।।4।। हेमेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति 71 वाणी सुणाई घणा कर्मों ने काप्या भक्तो रा काज सुधार्या ओ सूरिजी मारा दीपे थारुं नाम... ।।5।। सरल हृदयरा थे हो गुरु प्यारा प्रीतेष मुनि गुण गावे सूरिजी मारा दीपे थारुं नाम... ।।6।। हेमेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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