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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन पंथ शुभकामना संदेश -राष्ट्रसंत गणेश मुनि शास्त्री संत तिमिरांध मन में ज्ञान का दीप जलाते हैं । जो भूल जाते सतपथ उन्हें सन्मार्ग पर चलाते हैं । संत क्षमा, शांति और दया की वो त्रिवेणी है - जिसमें सदैव आत्मचिंतन के हिमबिन्दु झिलमिलाते हैं ।। संत अनादिकाल से अभिनंदनीय रहे और रहेंगे । संत की हर क्रिया से जन चेतना के स्रोत अनवरत बहेंगे । भारत को धर्मप्रधान देश संतों ने ही बनाया है बंधु संत जहां भी जायेंगे सम्प संगठन की बात कहेंगे ।। आचार्य श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी एक त्यागी संत है । आत्म साधना में लीन रहने वाले वैरागी संत हैं । जिनका संयमी जीवन सेवा के सुनहरे रंग से रंगा है - वे जन मन को सेवा परायण बनाने में सहभागी संत हैं ।। आचार्य प्रवर बालक मन में सद्संस्कार भरते हैं । कलयुग की कालिमा से बचाने का नेक काम करते हैं । तप के तेज से निखरा हुआ है जिनका तन मन उनका पावन सान्निध्य पाने वालों के पाप स्वतः झड़ते हैं ।। दीक्षा हीरक जयंती पर वंदन शत शत बार है । अंतर की गहराई से अभिनंदन भरा शुभ हार है । स्वस्थ रहें और पायें शतायु, करते रहें जगत कल्याण धर्म परम्परा चमके दमके यही मेरे उदगार हैं ।। हेगेन्द्र ज्योति *हेगेच ज्योति 70 हेगेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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