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________________ HIDIT स्वागती गीत विधिकारक मण्डल का बहुमान 17.10.2004 दिन रविवार गुरुवर विजय वल्लभ स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी वर्ष के समापन समारोह का आज अन्तिम दिन था। आज सुबह से ही मौसम बड़ा सुहावना था, ठंडी और सुहावनी हवा चल रही थी। दूसरे शहरों एवं राज्यों से गुरु भक्तों का एकत्रित होना शुरू हो चुका था। जनमेदनी इतनी थी कि आश्चर्य के साथ मन को प्रफुल्लित कर रही थी। सभी अम्बाला निवासियों के मुख पर एक ही बात थी कि ऐसा लगता है दिव्यलोक से देवी-देवता भी इस समारोह में हर्षोल्लास के साथ दिव्याशीष प्रदान करने के लिए समूह रूप में पधार रहे हैं। 18 हजार फुट का पण्डाल गुरु भक्तों से खचाखच भरा हो और पण्डाल के बाहर भी गुरुभक्त इस समारोह में भाग लेने के लिए खड़े हों, ऐसा अभूतपूर्व शोभनीय दृश्य जीवन में देखने का पहली बार सुअवसर प्राप्त हुआ। अनुशासन प्रिय प.पू. गच्छाधिपति जी ठीक 9 बजे पाट पर विराजमान हो गये तथा सर्वप्रथम प.पू. गच्छाधिपति जी के मंगलाचरण से समारोह का शुभारम्भ हुआ। संक्रान्ति भक्तों द्वारा इस भजन की प्रस्तुति की गई : "वल्लभ याद आए सवेरे-सवेरे, वल्लभ तुझको ध्यायुं सवेरे-सवेरे..." एस.ए. जैन सी.सै. स्कूल की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया, जिसके बोल थे:___"जन-जन को देते ज्ञान, सबसे प्यारा उनका नाम....." श्री आजाद कुमार जैन जी ने गुरु वल्लभ के नाम अपनी शायरी प्रस्तुत की। _ “वो दिन आज आ गया है जिसका था इन्तज़ार, पूज्य गुरु के चरणों में नमस्कार" अपने भीतर बैठे वल्लभ से दो बाते कहने दो आचार्य सूरीश्वर के अन्दर वल्लभ के दर्शन होते हैं।" श्रीमति सविता जैन द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया "जवाब नहीं मेरे गुरु दा-2, जिन्ने भक्तों को चरणी लगाया, कि पीछे-पीछे सारे आ गए।। जवाब नहीं मेरे गुरु दा....." इसके पश्चात् श्री सिकन्दर लाल जी ने अपने विचार प्रस्तुत किए तथा आज के समारोह के मुख्य अतिथि श्री वी.सी. जैन भाभू ने अपने वक्तव्य में गुरु वल्लभ के विचारों को प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् विधिकारक मण्डल तथा रथयात्रा के संचालन सहयोगी सदस्यों का बहुमान किया गया। गीत "माँ की ममता" माता को जो प्यार करे वो लोग निराले होते है... "उस माँ की न सुनो तो उसकी कौन सुनेगा......" श्री सुशील कुमार जी चण्डीगढ़ ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने पूज्य गच्छाधिपति जी से विनंती की कि चातुर्मास के बाद चण्डीगढ़ की ओर पधारें तथा संक्रान्ति का लाभ हमें दें। आचार्य श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरीश्वर जी महाराज ने कहा कार्तिक पूर्णिमा के पश्चात् मेरा लुधियाना की तरफ विहार होगा। चौड़ा बाजार जैन मन्दिर की प्रतिष्ठा 13 दिसम्बर 2004 को है। लुधियाना जाते हुए चण्डीगढ़ रास्ते में आया तो अवश्य पहुचूंगा। विशेष अतिथि का बहुमान श्री कान्ति भाई मुम्बई का बहुमान विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका 247 Jain Education International For Privale & Personal use only
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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