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श्राचार्य विजयवल्लभसूरि स्मारक ग्रंथ
श्रीकृष्ण, राम, बुद्ध और क्राईस्ट के जीवन चरित्र की पुस्तकें सैंकड़ों भाषाओंों में संसार के कोने कोने में बांटी जा रही हैं और हम लोग तो ऐसे बेपरवाह हैं कि प्रतिवर्ष जब श्रीभगवान् महावीर स्वामी का जन्म महोत्सव मनाते हैं तब बड़े बड़े मन्त्री लोगों को, न्यायाधीशों को और राज्याधिकारियों को निमंत्रित करते हैं, परन्तु जब वे भगवान् के आदर्श जीवन और उनके अमूल्य सिद्धान्तों की रूपरेखा (Outlines ) दर्शानेवाली कोई पुस्तक या निबन्ध अपने बोलने के लिये या पढ़ने के लिये मांगते हैं, तब एक संचालक दूसरे संचालक का मुंह ताकने के सिवाय और कुछ नहीं कर सकता । मतलब यह है कि अंग्रेजी जैसी प्रचलित भाषा में एक सुन्दर और सारगर्भित पुस्तक बाहर के श्राये हुए विद्वान् लोगों को देने के लिये हमारे पास तैयार होवे ऐसा देखने में बहुत कम श्राया है। बड़े खेद की बात है कि हजारों रुपये ध्वजापताका, सभामण्डप बनाने में खर्च कर लेते हैं परन्तु इस तरफ क्यों ध्यान नहीं जाता ? जब बौद्ध धर्म वालों ने Light of Asia जंबू ज्योति - - नाम की पुस्तक एक महान् विद्वान् द्वारा तैयार करवाई, उन्हीं दिनों में हमने भी एक अत्युत्तम ढंग से महावीर का जीवनचरित्र प्रकाशन करने में कुछ रकम खर्च कर दी होती तो श्राज महावीर भगवंत के प्रति भी प्रजा में सर्वत्र पूज्यभाव बढ़ता और सभा में जैसे बुद्ध को बार बार विद्वान् लोग अपनी जिह्वा पर लाते हैं वैसे भगवान् महावीर का पवित्र नाम भी अपने मुंह पर लाते। हर एक कार्य समयोचित होने में ही शोभा है। खेती भी समयोचित नहीं हो, तो मेहनत व्यर्थ जाती है। जैन धर्म ने तो स्थान स्थान पर शास्त्र में द्रव्य क्षेत्र काल और भाव पर जोर दिया है। शायद ही किसी दूसरे धर्म में इतना जोर द्रव्य क्षेत्र काल भाव पर हो। परन्तु आज उस तरफ न तो हमारा लक्ष्य है और न उसका बहुमान है। इसलिये जैन साहित्य संसार का एक सर्वोत्तम साहित्य होते हुए भी जगत् में उसे चाहिए वैसा उचित स्थान प्राप्त नहीं । इसलिये व शीघ्र ही संसार की प्रचलित भाषाओं में जैन धर्म के रहस्य को समझानेवाले छोटे छोटे निबन्ध, पुस्तिकाएँ अथवा पुस्तकों का प्रकाशन करना हमारी उन्नति का अपूर्व साधन है।
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