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________________ गुरुवर जीवें वर्ष हजार पं० बिहारीलाल मोदो, शास्त्री, बड़ामलहरा श्रेष्ठ सुधी आगमके ज्ञाता, अध्यातमके उद्भट विद्वान् । सरल स्वभावी अतिमृदुभाषी, मिलनसार अरु श्रेष्ठ पुमान । जगत हितैषी, जन-जन के प्रिय, विशाल हृदय अरु चतुर सुजान । ऐसे पण्डित बंशीधर को, करता हूँ शत शत वन्दन ॥ १ ॥ खानिया तत्वचर्चा की जिसने, लिखी समीक्षा सोच विचार । बारीकी से किया विवेचन, शंका समाधान द्वारा विस्तार ।। भंजन किया भ्रमित भावों को. लिखकर निश्चय व्योहार । ऐसे पण्डित प्रवर गुरु का, अभिनन्दन करता शत बार ।। २॥ ओजस्वी वाणी के द्वारा, जैनधर्म का किया प्रसार । विद्वज्जन में रहे अग्रणी, दिशाबोध का खोला द्वार ।। "लाल बिहारी" करें कामना, गरुवर जीवें वर्ष हजार । श्रद्धा सुमन समर्पित करता, पादपदम में बारम्बार ।। ३ ॥ आपको करें समर्पित पं० धरणेन्द्रकुमार जैन, शास्त्री, दमोह कृपा दृष्टि पड़ गई, ____ जिधर कल्याण हुआ है। कदम जिधर पड़ गये, उधर उत्थान हुआ है। हे! विद्वत्तवर सुयश, आपका क्या हम गायें। हे! गौरव गुण खान, आपके गुण क्या गायें । (२) काव्य, तर्क, व्याकरण, शास्त्र के ज्ञाता नामी। पूज्यनीय वर्णी गणेश, के पथ अनुगामी ।। देश धर्म हित सदा, आपने कष्ट सहे हैं। गाँधी जी के साथ, आप भी जेल गये हैं। छात्र और संस्थाओं के, अति ही हित चितक । जैन जगत व विद्वानों के, अति ही शुभ चिंतक ।। आज आपके अभिनंदन पर सब हम हर्षित । विनय सहित कुछ सुमन, आपको करें समर्पित ।। १-८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012047
Book TitleBansidhar Pandita Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherBansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages656
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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