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________________ शब्द-सुमन से अभिनन्दन है हास्य कवि हजारी लाल 'काका' सकरार बनें श्रेष्ठ आचार्य व्याकरण का तन मन से किया मनन है, पण्डित श्री बंशीधर जी का शब्द सुमन से अभिनन्दन है, संवत उन्निस सौ बासठ की भादों सदी सप्तमी आई. श्री सिंघई मकुन्दलाल के द्वारे बजने लगी बधाई, जिला ललितपुर की सोरई में उस दिन उत्सव गया मनाया, राधादेवी की गोदी में यह बालक आकर मुस्काया, जिसने भी देखा बालक को प्रमुदित हआ सभी का मन है, पंडित श्री बंशीधर जी का शब्द सुमन से अभिनन्दन है, होनहार विरवान के अक्सर पात चीकनें ही होते हैं, बढ़ने वाले बालक अक्सर अपना समय नहीं खोते हैं, ग्यारह वर्ष बनारस में ही वर्णीजी से शिक्षा पाई, न्यायतीर्थ साहित्यशास्त्री आदि अनेकों पदवी पाई, सिद्धान्ताचार्य की उपाधि के साथ मिला था काफी धन है, पंडित श्री बंशीधर जी का शब्द सुमन से अभिनन्दन है, सरस्वति का भंडार भर दिया जब से कलम उठाई कर में, ऊँचा किया बुन्देलखंड का नाम आपने भारत भर में, जैन संस्थाओं में हरदम ऊँचे-ऊँचे ओहदे पाये, स्वतंत्रता के आंदोलन में जेल यात्रा भी कर आये, इसीलिये उपराष्ट्रपति ने किया आपका अभिनन्दन है, पण्डित श्री बंशीधर जी का शब्द सूमन से अभिनन्दन है, यों तो त्याग चुके पण्डित जी जीवन से सारा आडम्बर, ऐसा लगता है, घर में रहते हों अम्बर सहित दिगम्बर, कवि 'काका' की एक विनय है अब तो ऐसा अवसर लायें, कर में पिछी कमंडल लेकर सच्चा अभिनन्दन करवायें. नर जीवन का सार यही है कहता यही जैनदर्शन है. पंडित श्री बंशीधर जी का शब्द सुमन से अभिनन्दन है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012047
Book TitleBansidhar Pandita Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherBansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages656
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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