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________________ श्री सुमति शिक्षा सदन उच्च माध्यमिक विद्यालय, राणावास २२७ . .... ........................-.-.-. -.-.-.-.-.-. -.-. -. -.-.-.-.-. -. -.-...-.-. सत्र छात्र का नाम स्थान कक्षा प्राप्तांक | 외의 회 ११ १० अ पी - १६६४-६५ केवलचन्द फलफगर सोजत सिटी १६६५-६६ केवलचन्द फूलफगर सोजत सिटी १६६६-६७ लुम्बाराम गहलौत राणावास १९६७-६८ लुम्बाराम गहलोत राणावास १९६८-६६ बाबूलाल राव भैरूंदा १९६६-७० भगवानसिंह चंपावत सोवणिया १६७०-७१ भैरूलाल मूथा नीमली १९७१-७२ सुरेशकुमार नाहर दवेर १९७२-७३ मोतीलाल कोठारी चाणोद १९७३-७४ कोई नहीं १६७४-७५ बाबूलाल कोचर गोलाघाट १९७५-७६ मुरलीदास वैष्णव गागूड़ा १९७६-७७ गौतमचन्द मूथा राणावास १० अ १९७७-७८ चन्द्रकान्त मेहता मजेरा ११ अ १९७८-७९ शैतानसिंह राजपुरोहित खेरवा ११ ब १६७९-८० स्वरूपराम चौधरी प्रतापगढ़ १९८०-८१ अशोककुमार सुराणा राणावास ११ अ आन्तरिक मूल्यांकन __ कक्षा ६ से ११ तक के विद्यार्थी को पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ बाह्य प्रवृत्तियों में पारंगत करने के दो। क्षेत्र हैं(क) साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र यथा-हिन्दी वाद-विवाद, रचनात्मक लेख, पद्य-पाठ संगीत, नाटक, आदि। (ख) खेल-कूद, दौड़ आदि । फुटबाल, बालीबाल, हाकी, बास्केटबाल, कबड्डी, टेबल टेनिस, स्काउटिंग, वाणिज्य क्लब, विज्ञान क्लब । विद्यार्थी को अपनी रुचि के अनुसार प्रत्येक क्षेत्र में एक-एक प्रवृत्ति का चयन करना होता है। इसके लिए प्रति सप्ताह एक दिन साहित्यिक क्षेत्र के लिए व स्कूल उपरान्त समय में दो दिन खेल कार्यक्रमों में भाग लेकर अपनी दक्षता को विकसित करना होता है। यह कार्यक्रम नियमित रूप से सम्पादित होता है। वर्ष के अन्त में प्रगति का उल्लेख उसके प्रगति पत्र और संचित अभिलेख में किया जाता है और बोर्ड की अंक सूची के साथ इसका भी प्रमाण पत्र दिया जाता है। इस योजना की सफल क्रियान्विति के उपलक्ष में सन् १९७७ में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान से प्रथम आने का प्रमाण पत्र भी इस विद्यालय को प्राप्त हुआ है। पुस्तकालय पुस्तकालय का विकास विद्यालय की गति के साथ-साथ बँधा है फिर भी पुस्तकालय को उसका सही रूप विद्यालय स्थापना के ग्यारह साल बाद १९५५ में मिला। उस वक्त पुस्तकालय में २५० पुस्तकें थीं जिसकी देख-रेख श्री मूलसिंह जी राठौड़ किया करते थे। उसके बाद १९६२ में प्रशिक्षित पुस्तकालयाध्यक्ष श्री महिपाल भंडारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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