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________________ २२८ की देखरेख में ३५०० पुस्तकों का अच्छा संग्रह एकत्रित हुआ, फिर १९६०-६० में प्रशिक्षित पुस्तकाध्यक्ष श्री कन्हैया लाल दबे की नियुक्ति हुई, उस समय पुस्तकों की संख्या ६१४१ थी। उसके बाद पुस्तकों की संख्या सत्रानुसार निम्न प्रकार से थी। वर्तमान में १६७४-७५ से श्री शान्तिलाल वैष्णव पुस्तकालय प्रभारी पद पर कार्यशील है। १९६७ से १६८० तक पुस्तकों की संख्या सत्र १९६७-६८ १६६८-६६ ६६-७० ७०-७१ ७१-७२ ७३५१ ७२-७३ ७३-७४ ७४-७५ ७६६३ ७६६६ ८०७६ ७९-८० पुस्तक संख्या ६१४१ ७१४० ७४१६ ७४६० ७६-७७ ७७-७८ ६७१८ ७५-७६ सत्रपुस्तक संख्या ७८ ७६ -55०० ६८१३ १०३८३ १०२६० पुस्तकालय में विद्यार्थियों के अपने ज्ञान-विज्ञान एवं चहुँमुखी विकास तथा ज्ञानवर्धन के लिए सप्ताह में प्रति विद्यार्थी एक पुस्तक प्रदान की जाती है जिसके लिए प्रति कक्षा प्रति सप्ताह एक पीरियड समय विभाग चक्र के अनुसार तय है। समानुसार विद्यार्थियों में वितरित की गयी पुस्तकों का विवरण, प्रतिशत, औसत की तालिका निम्नानुसार है कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ द्वितीय खण्ड सत्र Jain Education International पुस्तकों की संख्या १६७४-७५ ८८३० १५७५-७६ ८६६५ १९७६-७७ ६२६७ १६७७-७८ ६७१८ १६७८ ७६ १०१६१ १६७६-८० १०३८३ १६८०-८१ १०६६३ १९७४-७५ से १९७६-८० तक सत्रानुसार पुस्तक आदान-प्रदान विवरण सदस्य पाठक प्रदत्त पुस्तकों प्रति पाठक पुस्तकों स्टाफ / छात्र की संख्या की संख्या ५६८ ५६५ ६५१ ६६५ ७८० ७६४५ ७५६६ १२ ५६८ १५ ६३८ १४ ५८० १६ ७५१ १८ ६४२ १६ ३७८ σε ५५५ पुस्तकालय में ३१ विषयों से सम्बन्धित पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिनमें विज्ञान, वाणिज्य, कलावर्ग तथा सन्दर्भ साहित्य की पुस्तकें मुख्य हैं। चिकित्सा विज्ञान, कानून, धार्मिक व बाल-साहित्य की पुस्तक भी प्रचुर मात्रा में हैं । वाचनालय ७८२ ७६८ ७५६० EE४६ ६६८८ १११७२ ६७८१ प्रतिदिन औसत नवीन विवरण प्रदत्त पुस्तकें आगमन ६० ५४ ४८ For Private & Personal Use Only " विद्यालय में पुस्तकालय के साथ-साथ वाचनालय का भी द्रुतगति से विकास हुआ है । विद्यार्थियों व अध्यापकों के ज्ञानवर्द्धन देश-विदेश की जानकारी तथा उनके चहुंमुखी विकास के लिए वाचनालय में दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक तथा त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाएँ मँगायी जाती हैं। दैनिक पत्रों में राजस्थान पत्रिका, नवभारत टाइम्स तथा दि हिन्दुस्तान टाइम्स (अँग्रेजी) मुख्य हैं। साप्ताहिक पत्रों में धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, दिनमान, इतवारी पत्रिका, रोजगार समाचार, आर्थिक जगत, जैन भारती; पाक्षिक पत्रों में सरिता, मुक्ता, चंपक, भू-भारती, अणुव्रत, तेरापंथ भारती, इन्द्रजाल मासिक में आरोग्य, कादम्बिनी, नवनीत, चन्दा मामा, पराग, नन्दन, गुड़िया, बालभारती, विज्ञान प्रगति, राजस्थान शिक्षक, शिविरा, आजकल, चंपक व चन्दामामा (अँग्रेजी) खेल-खिलाड़ी, प्रतियोगिता दर्पण, कम्पटिशन रिव्यू, कल्याण, राष्ट्रधर्म और त्रैमासिक में बोर्ड जर्नल, तुलसी प्रज्ञा, राजस्थान पुस्तकालय संघ पत्रिका प्रमुख हैं । वाचनालय विद्यालय समय में खुला रहता है तथा खाली समय में छात्र इसका लाभ उठाते हैं । संख्या -. नुसार पत्र-पत्रिकाओं का विवरण इस प्रकार है ५० ५८ ८४ ५२ www.jainelibrary.org.
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
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