SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काव्याञ्जलि १०६ .................................................................. ...... विद्या का मूर्तरूप आँखों में जगमगाया धर्म को जोड़ा जीवन से कर्मठता का पाठ पढ़ाया जिसने, श्रम शक्ति से जंगल को मंगलमय, जड़ को चेतनमय, अमूर्त को मूर्त रूप देकर एक नया संसार बसाया भगवत ऐसी शक्ति दो हमको जिससे, इस श्रम सूत्र के मीठे झरने का जल पान कर सकें। अभिनन्दन ॥ श्री गौतमचन्द छाजेड़ (बंगलौर) स्फूतिमय प्रकाशपुज जगमगाये। यही हमारा अभिनन्दन है सहृदयता के धनी उस साधु पुरुष का जिसके रग-रग में सरलता व सहजता धर्म और कर्म समाया कर्मठता और जीवटता से जो काका कहलाया। श्रय पथ पर 0 साध्वी श्री भीखाजो (नोहर) धर्मनिष्ठ परिवार है, शेषमल्लजी तात । पुत्रोद्भव भी भाग्य से, केसरीमल विख्यात ॥१॥ देखो फूल गुलाब की, विस्तृत सदा सुवास । जनगण को जागृत किया, जलता दीप प्रकाश ॥२॥ संयमी सदश निस्पही, धवल अमल परिवेश । पापभीरुता सजगता, मानस अभय विशेष ।।३।। भैक्षव गण पाया सुखद, श्रावक श्रद्धानिष्ठ । त्याग भावना से सना, वर वैराग्य विशिष्ट ॥४॥ जितेन्द्रिय औं मितव्ययी, श्री तुलसी का भक्त । निष्कलंक, जीवन बना, सेवा में अनुरक्त ॥५॥ गृहिणी सुन्दरदेवी भी, सरल स्वभाव उदार । हृदय सादगी संपुरित, है शालीन विचार ॥६॥ पैंतीस वर्ष से कर रहे, सतत श्रम जी तोड़। भव्य सुमति शिक्षा सदन, इतिवृत्त बेजोड़ ॥७॥ राणावास की भूमि में. विद्या का विस्तार। तूने छात्र समूह में, भर दिये सद्संस्कार ॥८॥ संयम तप जप साधना, है जीवन का सार । बढ़ श्रेय पथ पर सतत, यही श्रेष्ठ आधार ॥00 JI Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012044
Book TitleKesarimalji Surana Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmal Tatia, Dev Kothari
PublisherKesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages1294
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy