SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 877
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ সমরথর সমরমরথথথরথ ८४२ : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति - प्रन्थ : चतुर्थ अध्याय प्रस्तुत कृति कवि ने सं० १९४५ चैत्र में तैयार की और उसी वर्ष वृंद के वंशज कविवर जयलाल ने विस्तृत टीका"इश्क प्रकाशिका" रची. यहां इतना स्पष्टीकरण कर देना चाहिए कि कतिपय पद्यों की — जैसे अन्न संबंधी — टीका स्वयं जवानसिंहजी ने की है. एक पद्य की उद्धृत टीका से ही इसकी उपादेयता समझ में आ सकती है. टीका में स्वमतपोषणार्थ- गीतगोविंद, भानुदत्त रचित रसतरंगिणी, वात्स्यायन सूत्र की जयमंगला टीका, बिहारी सतसई, नागरीदास का समस्त साहित्य, हरिचरणदास का सभाप्रकाश, उज्ज्वल नीलमणि, गोवर्द्धन कृत सप्तशती, सूरसागर, परमानन्दसागर, भागवत, रसप्रबोध, विद्वन्मंडन, अमरकोश, ८४ वस्णवन की वार्ता, भाषाभूषण, सुबोधिनी और मनुस्मृति आदि अनेक प्रामाणिक ग्रंथों से उद्धरण देकर कृति के सौंदर्य को निखार दिया है. ऐसी मूल्यवान् रचना का प्रकाशन नितान्त वांछनीय है. इसका विवरण इस प्रकार है : अन्त भाग :— सोरठा ब्रज जन जीवन प्रांन हैं इलाहि महवुव नित । कृष्ण करें जिहि ध्यान है अधीन जिनके सदा ||१|| हरि राधा हित रीत मैं विप्रयोग रस सार । तहां प्रीत सोइ प्रेम हैं सोइ इश्क निर्धार ॥२॥ पैंतालीस - उगनीस सें प्रथम चैत्र कजवार । ऋतु वसंत पून्यौं सु तिथि, कीनों ग्रंथ उचार ||३७|| इति श्रीमहाराज जवानसिंहजी कृत जलवय शहनशाह इश्क संपूर्ण ॥ नखशिख-शिखनख - हिन्दी साहित्य में कई कवियों ने नखशिख का भव्य वर्णन प्रस्तुत किया है. जवानसिंह ने भी इस विषय के ग्रंथों में अभिवृद्धि की है. १०४ पद्यों की कृति में भगवान् कृष्ण और उनके समीप रहनेवाले उपकरणों का विशद वर्णन भावपूर्ण भाषा में किया गया है. इस रचना का महत्त्वपूर्ण अंश है - हरिभक्त नाम माला - इस में बैष्णव सम्प्रदाय के सभी कृष्णभक्तों का नामोल्लेख है. अन्वेषकों की सुविधा के लिए नामावली प्रस्तुत की जा रही है : सूरदास, परमानन्ददास, कृष्णदास, कुंभनदास, गोविन्दस्वामी, छीतस्वामी, नन्ददास, चतुर्भुजदास, गदाधर, हरिदास, हरिवंश, बिहारिनदास, श्रीभट्ट, माधौदास, वृंदावनदास, गोपालदास, रामराय, रामदास, जनरि, घनश्याम, राघौदास, किशोरीदास, विष्णुदास, रघुनाथदास, विठ्ठल, सूरकिशोर, हरिवल्लभ, हृषिकेश, मानचन्द, सूरदास, मदनमोहन, तुलसीदास, कल्यानदास, कृष्णजीवन लच्छीराम, तानसेन, गोविन्ददास, विठ्ठलदास, जन कृष्ण, ठाकुरदास, जन तिलोक, चन्द्रसषी, शिरोमणि चतुरबिहारी, बाल, हरनारायन, स्वामीदास, सगुणदास, ब्रजपति, जननाथ कविराय, दामोदरदास, गरीबदास, धीरजप्रभु, व्यास, अग्रस्वामी, हरिजस्वन, मुकुंद प्रभु चरनदास, राजाराज बल्लभदास, सुंदरवन रघुवीर, लघु गोपाल वल्लभरसिक, आसकरन, ताजखान, धाँधी, रूपसिंह (किशनगड नरेश) बजदासी (किशनगढ़ नरेश राजसिंह की रानी) सांवतसिंह नागरीदास, आनन्दघन, जंगतराय, सुधरराय, जगजोउ, मुरारि घासीराम, पॅम रसिक, जुगलदास, कवि किशोर, अभिलाषी, हित अनूप, विजयसषी, बरसांनिया नागरीदास, दयासषी, नरहरिदास, रसिक सषी, आदि. नखशिख का विवरण इस प्रकार है : नृत्यगोपाल जयति अथ नखशिख - शिखनख महाराजा श्री जवांनसिंहजी कृत लिष्यते Jain Education rational val & Personal Only www.elibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy