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________________ २२२ : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : प्रथम अध्याय 講洪荒瑞蒂器流器茶非茶器梁器装蒂落落落 आचार्य तेजसिंह द्वारा संवत १७५१ में रचित 'गुरु-गुणमाला भास' में जसवंत के विषय में कतिपय संवत भ्रामक दिये हैं जिनका परिमार्जन अपेक्षित है. भास में बताया गया है कि आचार्यश्री ने रूपसिंह को स्वपद पर सं० १६८८ मार्गशीर्ष पूर्णिमा को स्थापित किया और अनशन सं० १६८८ मार्गशीर्ष कृष्णा २ को ग्रहण किया, (देखें गुरु गुणमाला भास में जसवंत भास, संख्या ७) जब कि 'जसवंत चातुर्मास' और आचार्य के प्रशिष्य मुनि बाघाजी रचित द्वारा 'रूप ऋषि भास' में पद स्थापन समय सं० १६८८ मिगसर सुदि ८ सूचित किया है और अनशन सुदि पूर्णिमा को बताया है. ऋषि रूपसीह नि पट्ट पापीइ मुझ मनि हरष अपार, संबत सोल अठासीइ मागसिर शुदि अष्टमी सोमवार । चढति दिन चढति कला निज पद दीधु सार, -मुनि माधव-जसवंत चातुर्मास । रूडा रूपसिंह नी पदवी परतग दीध, अविरल मूरती अष्टमी मागरसिर सुदि सोमवार । -मानूं रचित रूपसी छंद । श्री पूज्य जसवंत पद योग्य रूपसिंह परषिया ए, अहमदपुर मझारि संघ समिष्यिइं हरषिया ए। संबत ससि रस सार असीय ऊपरि आठ प्रागना ए, मिगसर सुदि सोमवार श्राठिमें तिथि गुरु गुण निलना ए । --वाघ मुनि प्रणीत 'रूपऋषि भास' अनशन विषयक उद्धरण इस प्रकार है संबत सोल सार अठ्यासिए अहिमदपुरि ए, श्री जसवंत सुजाण अणसण नी मति उपनी ए। पूग्या पुरुष प्रधान रूपऋषीस्वर गुण निलने ए, जो दियो अनुमति प्रारज संथारो संघ सार्षि करू ए। मागसिर सुदि पुन्यम जाणि पच्छिम जामि अणसण कयुए, -जसबंत चातुर्मास तेह जसवंत जाणीइ मिगसर सुदि सोमवार, पुनिमि तिथि अति निरमली अणसण कीधौ उदार । षमाय षमावि संघनी वलीय वचन इम बोलि, सिद्ध थया सवि माहरा चिंतव्या सुरतरु तोलि । -बाघ मुनि रचित भास, उपर्युक्त सभी उद्धरण तेजसिंह की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय हैं. कारण कि इन में से कई तो आचार्य के शिष्य-प्रशिष्य द्वारा रचित रचनाएं हैं. माधव तो प्रत्यक्षदर्शी ही थे. जब कि तेजसिंह का आधार पारम्परिक जनश्रुति रहा है. संवत् १५५२ वर्षे वैसाख वदि २ शुक्रे श्री अहमदपुरे बादशाह मुहमद विजयराज्ये' भूवनेश्वरी पीठ-ग्रन्थसूची, पृ० २०, गोंडल. जैन-ग्रन्थों की प्रशस्ति और लेखनपुष्टिकाओं में अहम्मदपुर का उल्लेख अहमदाबाद से भिन्न ही आता है. वस्तुतः आज उसकी भौगोलिक अवस्थिति कहां और किस मंडल में है, यह अन्वेषणीय हैं. COM .. . ... . . . . OOOOOOOOOOOOOOOOO.......... Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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