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________________ Jain 000.00 श्री मिश्रीमलजी मरुधरकेसरी : समाजरा साचा सपूत २०१ शतावधानी श्री रत्नचन्दजी म० री विद्वत्ता तथा कृति तो समाज रे वास्ते गौरव री चीज है. आपरो साहित्य जैन अजैन दोनों विद्वानों ने हिया रो हार हो रयो है. ज्यादा कांइ केवां अनमोल रत्न हा, सरस्वती रा अवतार तथा भारतभूषण री पदवी मिली ही. (२६) दरियापुरी सम्प्रदायरा अनुवायी पूज्य थी उत्तमचन्दजी म० ईश्वरलाल जी महाराज, तपस्वी चतुरलाल जी म० पिण आपरी जोड रा अनोखा पुरुष हा. पंडित हर्षचन्द जी म० पिण कवि सुन्दर हा. और भी महापुरुष धर्म दिपावण में कसर नहीं राखी - आप तिरिया ने ओरां ने तारिया. (२७) पूज्य श्री अमरसिंह जी म० (पंजाबी) - घणा म्होटा प्रचारक हा. अनेक परिषा सहन किया. सारी पंजाब में डंको बजायो आपरा सिघाड़ा में श्री गैंडाराय जी महाराज, शालिगरामजी म० मयाचन्दजी म०, पूज्य श्री मोतीराम जी महाराज, पूज्य श्री ज्योतिर्विद सोहनलालजी महाराज, पूज्य श्री काशीराम जो म०, बादिमानमर्दन गणी श्री उदयचन्दजी महाराज आदि जैन शासन रा स्तंभ हा परम्परा धर्म री निभावण में घणा कट्टर हा चमत्कारी पुरुष हा. पूज्य श्री आत्माराम जी म० तो समाज में चमकता कोहनूर हीरा हा. आप न्याय-व्याकरण रा प्रौढ़ विद्वान् हा. लेखक तो श्रीशतावधानी जी म० सा० रे जोडरा हा. अनेक ग्रंथों सूत्रां रा प्रसिद्ध लेखक अनुवादक हा २२ संप्रदाय रा सन्त ऐडा उत्तम पुरुषां ने आपरा आचार्य वणाया आपरी सादगी नम्रता सहनशीलता और सूत्रां री स्वाध्याय तथा मौखिक याददासती घणी ऊंची ही एक बार दर्शन करने मात्र सूं दर्शक ताजिन्दगी भूले जिसी वस्तु नहीं ही. आपरा सिंघाडा में सतीजी श्री पार्वतीजी सिंहणी समान निडर चर्चावादी ही. आचार पिण ऊंचो हो. श्री राजीमती जी, श्री चन्दाजी आदि सतियाँ पिण संतों रा प्रभावसूं अधिकी ही पिण किणी तरह कम नहीं. (२८) आचार्य श्री श्रीलालजी महाराज — टोंक रा निवासी, जातरा बंब हा वैरागी बेजोड़ रा. क्रियापात्र हा, सहनशीलता, सादगी, नम्रता आपरी आछी घणी हो, आपरी वैरागरी छाप सुणने वाला ऊपर घणी पड़ती. ऐडो वर्ष नहीं निकलियों के १०-१५ दिशा आप नहीं दीवेला साधुमार्गी संघ में आप दीवता पुरुष हवा. आचार्य श्री जवाहरलाल जी म० तात्त्विकव्याख्यानी, तर्कभूषण, निर्भीक वक्ता हा. साहित्य रा पूरा रसिक हा. चर्चावादी घणा प्रशंसनीय हा. अनुशासण करडो घणो हो. उत्पातिया बुद्धि आपरी ऐड़ी ही के कोइ भी विकट सूं विकट प्रश्न से जबाब दे देता जो ऐडो सांगोपांग होवतो के सुनने वाला चकित रे जावता शिष्यां ने ज्ञान पढावण रो पिण आपने शोख घणो हो अ आज आपरा शिष्य टीकाकार श्री घासीलालजी महाराज सरीखा आगमरी सेवा करने अमर नाम कर रया है और कृतिकार भी मामुली नहीं है. पूज्य श्री हुक्मीचन्द जी महाराज री सम्प्रदाय में पूज्य श्री उदयसागर जी म० पिण घणा गंभीर ने प्रभावशाली पुरुष हुवा हा. आचार्य श्री गणेशीलाल जी म० घणा सरल भद्रीक और पुण्यशाली हा. प्रभाव आपरो भक्तां उपर घणो हो. आचार री पूरी पूरी हिमायती राखण वाला पुरुष हा. आप श्रमण संघरा उपाचार्य पद माथे भी रह्या हा. (२१) पूज्य श्री मुन्नालालजी म०- -आप भद्रीक आत्मा, सूत्रां रा ज्ञाता हा. सौम्यमूर्ति, श्रद्धा रा निरूपण करने वाला हा. आपरा सिंघाड़ा में तपस्वी श्रीबालचन्दजी म० दयारा रूखड़ां हा. हजारां जीवां ने अभयदान दिरायो. बड़ा चमत्कारी हा. स्वामी श्रीनंदलालजी महाराज, श्रीदेविलालजी म०, श्रीहीरालालजी महाराज कवि तथा लेखक तथा समयज्ञ पुरुष हा. श्रीजैनदिवाकर चौथमलजी म० तो जगतवल्लभ हा. वाणी आपरी घणी रसीली ही. घणो परिवार बढायो, घणा राजा-महाराजा सेठ साउकारां ने तथा अन्यमतावलंबीयां ने आप री जादुसरिकी वाणी सुणाय - सुणाय ने सुलभ बनाया. आप जैनधर्म रा झंडा हा. कविता करने में तो बड़ा कुशल हा संगीत में कविता बिना पार री किवी, वचन घणा लागणा हा. आप कोटा में स्वर्ग पधारिया. (३०) स्वामीजी श्रीपीरचन्दजी म०- - आप पूज्य श्रीरघुनाथजी म० सा० रे सिंघाड़े में घोर तपस्वी हा. साथ में सन्त ३१ ठाणे हा. जोजावर सूं घाणेराव पधारतां तावडो घणो चढ़गयो ने सन्त पूरा-पूरा थाक गया ने प्यास घणी जोर सूं लागी. जरे पूज्य महाराज फुरमायो के—पीरदानजी, थे आगे गांव में जावो ने धोवण पाणी छाछ मिले सोही लेने आवो. तपस्वी coo.... CO 3030030030030 30 30 30 30 30 300 30 30 30 30 000nelibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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