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________________ MER १९८ : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : प्रथम अध्याय श्री बालचन्दजी महाराज घणा चमत्कारी हा. जोधपुर रा घणा मुसद्दी आपरी आस्था राखता हा. पंडित श्री कनीराम जी महाराज कवि ऊँचा दर्जा रा हा ने चर्चावादी आप चोखा हा. आपरा बनायोड़ा ग्रंथ आज मौजूद है. स्वामीजी श्री नन्दलाल जी महाराज लेखक नामी हा. बत्तीस सूत्र घणा विस्तार सूं लिखिया. अक्षर मोत्याँ जिसा हा. आचार्य श्री विनयचन्द जी महाराज, प्राचार्य श्री शोभाचन्द्र जी महाराज, स्वामी जी श्री चन्दनमल जी महाराज घणा होशियार ने सरल पुरुष हा. भव्य जीवां ने घणा ध्हाला लागता हा. (१२) पूज्य श्रीटोडरमलजी म.-पूज्य श्रीरघुनाथजी म० रा चेला हा. म्होटा पुरुष, महा विद्वान् और लिपिकार भी प्रसिद्ध हा. सात बत्तीसीयां आप हाथां सू लिखी ने और भी ग्रंथ घणा लिखिया. आप सोजत रा वासी, जातरा कोठारी हा. भाइ रे सासरे बगडी भूजाइ ने लेवण सारू गया ने उठे ही वैरागी बन ने दीक्षा लेली. आप कवि हा, 'टोडरसतसई' बनाई. क्रिया आपरी घणी उंची ही. विदेशों सं घणा प्रश्न आवता जिणां रा उत्तर आछा ढंग सू दिरावता हा. आपरी नेश्राय में सैकड़ों साधु-साध्वी हा. पं० टीकमचन्दजी महाराज व्याकरण रा वेत्ता ने चर्चावादी हा. उणारा भी ग्रन्थ घणा है. श्री रूपचन्दजी महाराज, श्रीदीपचन्दजी म०, श्रीभोपतरामी म० तीनों ही चमत्कारी पुरुष हा. जगा जगा चमत्कार लोगां देखिया, जिणसू धर्म पर मजबूत हुआ. श्रीटोडरमलजी म० रा दियोड़ा ने कयोडा वरदान आज तांइ बराबर मिल रया है, आछो साधूपणो पाल ने ऊंची गति में पधारिया. (१३) श्राचार्य श्रीरायचन्दजी म.-श्रीजयमल जी म० रा पाटवी चेला हा. घणा चतुर कवि ने वियापात्र हा. लेखक भी आछा हा. स्वा. श्रीकुशालचन्दजी म० महातपस्वी उग्रभागी और आचार्य पद्वीरे लायक होता छतां भी आप पद्वी नहीं लिवी. आपरे ८ चेला हुवा. वचनसिद्ध भी पूरा हा. स्वामीजी री शाखा सं प्रसिद्ध है. कवियां री ने पंडितां री तथा सुन्दर अक्षर वालारी तो श्रीजयमलजी म. सा० री संप्रदाय प्रसिद्ध ही है. पं० श्रीफकीरचंदजी म० उन समय रा नामी पंडित हुवा. घणा पं० मुनिराज उनाने पूछता हा. आप व्याकरण तथा दर्शनशास्त्र में धुरन्धर हा. पं० मुनि श्रीरामचन्द्रजी म. सा० भी कमाल रा कवि हा. (१४) पूज्य श्रीचौथमलजी म.-पूज्य श्रीरघुनाथजी म० रा संप्रदाय में आशुकवि हा. चेला भी घणा हुआ. व्याख्यान भी आपरो घणो सुन्दर हो. आप भंवाल रा वासी, जातरा झामड़ हा. सैकड़ों म्होटा २ चरित्र ने चोपीयां बना इ. स्तवनों रा तो ढेर लगाय दिया. उत्तम पुरुष संयम पाल ने स्वर्ग पधारिया. (१५) पूज्य श्रीअमरसिंहजी म.---जीवराजजी म. री शोखा में हुआ. हजारों नवा श्रावक बणाया. प्रचार आपरो पंजाब, यू० पी०, मारवाड़ में जोरदार रयो, चमत्कारी भी जोरावर हा. कोइ पाखडी सामने टिक नहीं सकता हा. आपरा सिघाडा में पं० आ० श्रीजीतमलजी म. नामी लेखक चित्रकार ने विद्वान् हा. संस्कृत, फारसी रा पण्डित हा. लेखनकला तारीफ रे जेडी ही. छोटा सू छोटा चित्रां में म्होटी वातां बताय दीवी. भण्डारी रघुनाथसीजी आप रा पूर्ण भक्त हा. वैजनाथजी पटवा आपरा श्रावका में प्रसिद्ध हा. मुनि श्रीज्ञानचंदजी म०, मुनि श्रीजेठमलजी म० पिण वचनसिद्ध पुरुष हा. वे पुरुष उत्तमगति में जावण री साधना घणी चोखी करी ही. परिवार साधु-साध्वी रो घणो बढियो. (१६) पूज्य श्रीनानकरामजी म०-श्री अमरसिंहजी म. री शाखा में हा. उंचा क्रियापात्र हा. धर्म अजमेरा प्रांत में घणो दिपायो. अजमेर, किशनगढ़, टोंक, सवाई माधोपुर, भीलवाडा, कोटा, बूदी तक प्रचार कियो. आप रा सिंघाड़ा में स्वा० श्रीसुखलालजी म०, स्वा० श्रीनिहालचन्दजी म०, श्रीगजमलजी महाराज घणा प्रभावशाली हुवा. तपस्वीजी माधोलालजी महाराज री क्रिया तो अनोखी ही. आप स्याला में सुबे और जेठ में दोपहर रा विहार करावता. अजयणा बचावण सारु दोनों हाथ भेला करने चालता हा. मासखमण तो आपरे साधारण-सी चीज ही. एक पात्र राखता हा. एक चादर ओढता और ४ द्रव्य जावजीव ताई लगाया. ऐसा घोर तपस्वी हा. एक बार आप पुष्कर पधारण ने तैयार हुआ. अजमेर रा श्रावकां मना किया के पुष्कर मती पधारो उठे जैन साधां ने रेवण देवे नहीं. पंडा बड़ा कुरापाती है. तपस्वी फुरमायो के अबे तो पुष्कर जरूर जावांला. आप पुष्कर पधारता हा जिण वेला उणा ने देखने ४० पंडा, २० संन्यासी १६ उदासी, १५ त्रिदंडी, ३ राधाबावा आदि कुल १०० जना लाठियां लेइ ने आया और कयो कि-मोड़ा! माजना Jain tomato artionar For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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