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________________ श्रीमिश्रीमलजी मरुधर केसरी : समाजरा साचा सपूत : १९७ 茶器茶茶落落瓷茶業器装譯器器装器装紫装器 (८) पूज्य श्रीरघुनाथजी महाराज-आप भूधरजी महाराज रा चेला, सोजतरा रहवासी जातरा बलावत, नथमलजी रा बेटा ने सोमादेजीरा अंगजात हा. आप वेद पुराण उपनिषदों रा ने भगवत्-गीता रा आछा ज्ञाता हा. सोजतरी हाकमी और कियोडो सगपण छोड़ आपरा मित्ररो मरणो सुन चामुण्डा देवी ने माथो चढ़ावण ने जाय रया हा अमर होवणारे वास्ते. रास्ता में पूज्य श्री भूधरजी महाराज मिलिया. तीन दिन तक चर्चा करने समजाया. उसी टेम चार खंद कर लिया. माता पिता रे काल कियां रे बाद सासरा बाला घणो झमेलो कियो कारण आपसू सम्बन्ब कियी वा बाई रत्नवती दूजा ने परणीजे नहीं, पिण आप तो रातरा मकान सुं कूद ने जोधतुर पोंचिया ने भंडारी जी सींवसी जी सू मिलिया ने पूज्य महाराज रे पास १७८७ राजेठ बद २ वुधवार ने साधूपणो घणा ठाठ-बाट सं लियो. दीक्षा में सारो खर्च श्री जी दरबार का खजाना सू हुवो. आप दीक्षा लेवता ही पांच-पांच रो पारणो करणो ने ४ विगय नहीं लगावणरो नियम लियो. १८ बड़ा-बड़ा मुसद्दीयों ने समकितरो दान दियो. आपरो प्रताप घणो बधियो. और धर्मरा प्रचार में भाटा खाया, काटण कुता री वेदना भी सहन कीवी, जहर रो भोजन भी अरोगियो. आपने मारण सारू पर पक्ष वाला घणा उग्र परिषह दिया. पिण जालोर समदडी पाली सादडी मेडता आदि सात सौ गांवों में दया-धर्म को झंडो रोप दियो. प्रापरा परचा भी धणा है. ५२५ दीक्षा आपरा हाथ सू हुई. ३२ सूत्रों री हुंडिया भी आप बनाई. आपरा गुरु भाई श्री जेतसीजी महाराज, श्री जयमल्लजी महाराज, श्री कुशलोजी महाराज आदि नव हा. चेला श्री टोडरमलजी नगराज जी आदि घणा विद्वान् ने क्रियापात्र हा. तेरापंथ रा प्रवर्तक श्री भीषणजी भी आपरा चेला हा. संवत १८१६ चैत्र सुद ६ शुक्रवार ने शास्त्रीय मतभेद होणा से सम्बन्ध विच्छेद कर दियो. आपरा जमाना में जतियोरो जोर घणो हो. उणासू शास्त्रीय चर्चा कर सुद्ध मार्ग री थापना की, जिण पर अंबालाल सेवग मेडतावालो दूहो कयो के जति धर्म जातो रह्यो, थानक लागा थाट, उपाश्रय प्राडा जड्या, पडिया रे गया पाट । इसा उग्रभागी वैरागी महा म्होटा पुरुष हा. आपरो जन्म १७६६ माघ सुद ५ रो हो ने पाली में आप काल आयो जाण ने संथारो कियो. १७ दिन रो संथारो दिपायो. अस्सी वर्ष में १८४६ रा माघ सुदी ११ ने दिवंगत हुवा. (6) पूज्य श्रीजयमलजी महाराज-आप उदावतोंरी लांबियां रा वासी, जातरा समदड़िया मूथा, मोहनदास जी रा बेटा, ने महिमा देवीरा अंगजात हा. आपरा बड़ा भाई रिडमलजी हा. उणोरो परिवार नानणा मारवाड़ में है. आपरो जन्म संवत् १७६२ भादवा सुदी १४ शनिवार ने हुवो. आपरो ब्याह १७८७ रा आषाढ़ सुदी १ ने लांछा देवी रे साथ हुवो. आप माल खरीदण वास्ते मेडते आया. पूज्य भूधरजी रे पास वैरागी वण गया. १ पोर में पडिकमणो शीखीया. १७८७ मिगसर वदी २ ने दीक्षा मेडता में लीवी. बडी दीक्षा आप री विखरणिया में तलाब रे पास वड़ ला रे हेठे हुई. वो बड़लो भी आज तई दुनियाँ रे वास्ते प्रभावशाली होय गयो. खांसी खुलखुलीयो नीचे जावतां ही मिट जावे. आप बेले २ पारणो कियो, आडो आसण करता नहीं, अतापना भी लिरावता हा. आप घणा चमत्कारी पुरुष हा. नागोर डेह बीकानेर आदि घणा गांवों में धर्म-प्रचार कियो, केइ परिषह सहन किया. आप कवि प्रसिद्ध हा. शास्त्रानुसार कविता करता हा ने घणा तवन चोपियां वणाई ही. नागौर में एक महीना रो संथारो कर स्वर्ग पधारिया. (१०) पूज्य श्री कुशलोजी महाराज-आप बडलूरा निवासी हा. घणी सुखशाहबी छोड़ने सोजत में संवत् १७८८ रा जेठ में संयम लियो पूज्य भूधरजी रे पास में. आप भद्रीक सरलात्मा और पोंच्योड़ा पुरुष था. कई जगा आपरा प्रताप सुं धर्म री उन्नति हुई. आप आत्मा पर जोर लगाय ने उत्तम गति में पधारिया. (१३) पूज्य श्री रत्नचन्दजी महाराज-कूड (राजस्थान) रा निवासी और भद्दाणे गोद गया हा. आप श्री गुमानचन्द जी महाराज रा चेला हा. कविता भी आप घणी रसभरियोडी करता ने व्याख्यान आपरो मीठो ने असरकारक हो. जिणसं घणा जीव प्रतिबोध पाया. आप शास्त्रज्ञ हा. सम्प्रदाय आपरा नाम सं चाली. आपरा सिंघाड़ा में तपस्वी जी JainEducatmeaning Prelibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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