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________________ अ. भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् के निमित्त प्राप्त शुभ संदेश पं. मनिराज श्री कल्याण विजयजी महाराज श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् अपने विशाल समाज संगठन के उद्देश्य को लेकर ही स्थापित की गई है । यद्यपि समाज का क्षेत्र विशाल कार्यक्रम से परिपूर्ण है तथापि सामाजिक विकास के हेतु इस तरह के संगठनों के द्वारा समाज संगठन की पूरी-पूरी सारी तैय्यारी जब हो जाती है तब वह अपनी इस शक्ति के द्वारा समाजगत अन्य संस्थाओं से अपना सम्पर्क साधकर संगठन की दिशा में आगे बढ़कर समाज को उन्नतिशील बना सकती है। परिषद् अपने लक्ष्य को पूर्ण करने में सफल बने । -पू. पंडितवर मुनि श्री कल्याण विजयजी म. आज के वैज्ञानिक समय में हमें एकत्रित होना आवश्यक है। आपने "श्री राजेन्द्र नवयुवक परिषद्” के नीचे सारे जैन समाज का ध्यान खींचा है। अपने समाज को एक ही बनाकर 'ए' समूह में यह परिषद् अवश्य रख सकेगी। मेरी शुभ मनोकामना है कि पू. गुरुदेव ने जो मार्ग दिखलाया है उस मार्ग को आप साहब सफल बनायेंगे। जैन समाज का संगठन, और धर्म की उन्नति यह परिषद् की सफलता है। -पोपटलाल धंरू, भराद, श्री सेठियाजी जैसे कर्मठ एवं सुयोग्य अध्यक्ष की अध्यक्षता एवं आप जैसे सेवाभावी महानुभावों की सुव्यवस्था में परिषद् का यह अधिवेशन अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सर्वथा सफल हो अभिनव आदर्श उपस्थित करेगा ऐसा मेरा परम विश्वास है। आपके अधिवेशन की सफलता के हेतु मैं अपनी मंगल कामनाएं प्रेषित कर रहा हूँ। -मदनलाल जोशी, मंदसौर मने परिषद तरफ थी आमंत्रण मल्यं ते मारा अभिनन्दन । समाज नी उन्नति ने माटे आजे धार्मिक संगठननी जरूरत छ । पू. गुरुदेवना उपदेशे आपे जे कार्योनी आरंभ करयो अने आज तेनु तृतिय अधिवशन आप भरी रहया छ। तेरला समाज की प्रगति बतावे छ, वैज्ञानिक युग मां बारबार पलटा आवता रहे छे. आजे साथे धार्मिक क्षेत्र पण प्रगति थती रहे अणे आपणी जैन समाज आगल आवे ते वांछनीय छे. __-जवेरीभाई भूदरभाई, थराद गुरुदेव श्रीमद्विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के उपदेश व आशीर्वाद से निर्मित व स्थापित इस अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन नव. परिषद् की नींव ऐसी लगे (महावीर स्वामी से प्रार्थना करता हूँ) कि यह परिषद् न केवल राजस्थान या भारत के चरित्र निर्माण का ही काम करे लेकिन विश्व के मानव के कल्याण का संदेश लेकर काम करने का अवसर इस परिषद् को प्राप्त हो । . -बैरिस्टर श्री शिवलाल टी. पोरवाल, जोधपुर महत्व ना कामो ना लीधे हुं आवी सकुं तेम नथी तो मने माफ करयो अने गुरु महाराज नी दया थी, आपना सामे जो आ दुनिया मां हयाती हसे तो चोकस आप श्री जे प्रमाणे कहेशो ते प्रमाणे सेवा करवानी खात्री आपुं छु, परिषद् नी सफलता इच्छु छु । -परिख चन्दुलालजी दलसुखभाई, बम्बई "आमंत्रण मल्यु महावीर देवनां प्ररुपेला जैन मार्गानुसारी राह ने आज काल ना नवयुवानों भूले छ, कलिकालनी छाया मां अज्ञानी रत्नत्रयी थी विमुखता जाये छ, तेवा समय आं परिषद् द्वारा समाज ना पतित जनो नी उद्धार करी जैन धर्म नी उन्नति नां धेयकारी मार्गो जनता आंगल रंजु थसे. परिषद् नी सफलता इच्छु छ । प्रभु तेमारा कार्य मां सहायक थरो ऐसी प्रार्थना।" -पुनमचन्दजी नागरलाल दोशी, डीसा जि. बनासकांठा परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जो अधिवेशन होने जा रहा है उसमें अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हो ताकि परिषद् चतुर्मुखी उन्नति करे। -राजमलजी पोरवाल, नीमच वी.नि.सं. २५०३ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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