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________________ गुरुभक्त श्री श्रावक श्री कन्हैयालालजी व धर्मपत्नी सोसरबाई के पंचमी व नवपद उद्यापन उक्त, मुनिमंडल के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ । संवत् २०२० - - माघ शुक्ला पंचमी को श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वरजी की प्रतिमा पूज्य विद्याचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के करकमलों से भी शांतिलालजी पतरसिंह नयागांव द्वारा प्रतिष्ठित हुई। श्री भंवरलालजी नानालालजी डूंगरवाल द्वारा आचार्य यतीन्द्र सूरीश्वरजी की प्रतिमा वर्तमान आचार्य श्रीमद् विजय विद्याचन्द्र सूरीश्वर महाराज के करकमलों से प्रतिष्ठित हुई । मद्रास (तमिलनाडु) पूज्य राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज का प्रभामंडल सुदूर दक्षिण में प्रकाशित हुआ । आज बैंगलोर, मद्रास, विजयवाड़ा, गुंटूर आदि अनेक स्थानों पर श्रीमद् राजेन्द्रसूरि के अनुयायी पहुंच चुके हैं और इनकी कीर्तिगान में उत्तर भारत से किसी प्रकार कम नहीं हैं । मद्रास इनमें से एक प्रमुख नगर है जहां पूज्य गुरुदेव महा की स्मृति में वहां के अनुयायियों ने श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी जैन न्यास की स्थापना संवत् २०२८ आषाढ़ शुक्ला नवमी को ११, एकाम्ब्रेश्वर अग्राहरम स्थल पर की। समाज के अनेक दानवीर, अनुयायी तथा स्वधर्मी बंधुओं ने भविष्य की सुनहली योजनाएं बनाई। कुछ क्षण ऐसे होते हैं जब श्रेष्ठ कार्यों की नींव रखी जाती है । न्यास ऐसे ही क्षणों में स्थापित हुआ तथा भव्य भवन बनाने का निर्णय लिया गया । मद्रास सेन्ट्रल के निकट ५९ फीट ऊंचा श्री राजेन्द्र जैन भवन का निर्माण किया गया जिसकी ४ मंजिलें हैं उनमें एक विशाल सभागृह, जैन मंदिर एवं धर्मशाला निर्मित है। जिनालय के लिए प्रतिमाएं तैयार हैं केवल प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा है । यह एक भगीरथ प्रयास का फल है जिसमें प्रथम चरण में निम्न महानुभाव पदाधिकारी रहे हैं (१) श्री शेषमलजी चमनाजी (२) ,, आर. टी. शाह (३) बी. टी. बजावत (४) (५) 33 31 11 जुगराजनी मूमा घेवरचन्दजी जैन (१) श्री नथमलजी कामदार (२) घेवरचन्दजी जैन " द्वितीय चरण में जो तीन वर्ष पश्चात् निर्वाचित हुए और द्रुत गति से 23 (३) (४) (५) बी. टी. बजावत 33 Jain Education International न्यास अध्यक्ष बाबूलालजी मेहता पन्नालालजी जैन 17 11 " निम्न पदाधिकारी न्यास का कार्य आरंभ हुआ: उपाध्यक्ष सचिव संयुक्त सचिव कोषाध्यक्ष न्यास अध्यक्ष 23 " उपाध्यक्ष सचिव संयुक्त सचिव कोषाध्यक्ष ट्रस्ट द्वारा नियमित रूप से महावीर जयंति तथा गुरु जयंति विशाल स्तर पर आयोजित किए जाते हैं जिसमें हजारों नर-नारी उपस्थित रहते हैं और उल्लासमय वातावरण रहता है । टांडा आदिवासी अंचल स्थित टांडा में सौधर्म तपागच्छीय जैन समाज में ५० परिवार हैं। संवत् १९५० में पू. राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के करकमलों से श्री नाथाजी चौधरी के द्वारा प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई । यह जिनालय एक शताब्दी का है । यहां पौषधशाला तथा राजेन्द्र भवन निर्मित है। राजेन्द्र सभा भवन सेठ श्री दुलीचन्दजी, श्री समीरमलजी श्री मोतीलालजी, श्री मदनलालजी द्वारा निर्मित किया गया। समाज का एक निजी भोजनशाला भवन है। इसके अतिरिक्त जिनालय के अन्तर्गत पांच भवन हैं जिनके द्वारा किराये की आय होती है । टांडा के जैन समाज की धार्मिक भावना उत्कृष्ट है । संघों का नियमित स्वागत किया जाता है और स्वामिभक्ति भी । गूरी सिरेमलजी पति एवं श्री हेमचन्द्रजी पति सावला एक परिचय जन्म : संवत् १९४० निधन : आश्विन शुक्ला १, २००७ संवत् १९५५ में आचार्य श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के सम्पर्क में आए। यहीं से आचार्य देव के सान्निध्य में रहकर जैन दर्शन का अध्ययन किया। अंजनशलाका, शांति स्नात्र, प्रतिष्ठा, आदि क्रियाओं को हृदयंगम किया। वृहत्तपागच्छीय उदय चार आचार्यों की निश्रा में धर्मंविधान के अनेक कार्य सम्पन्न किए । गुरा सा. जैन तत्वज्ञान, आदुविज्ञान ज्योतिष विज्ञान आदि के विद्वान थे। जीवन का अधिकांश भाग अध्ययन अध्यापन में व्यतीत fear | श्री हेमचन्द्रजी यति आपके सुपुत्र हैं । आचार्य श्री के सान्निध्य में उपस्थित रहकर अनेक अनुष्ठान प्रतिपादित किए हैं। अपने कार्य में निष्णात श्री हेमचन्द्रजी यति के कार्यों की सूची संलग्न है:अंजन शलाकाएं: बागरा, सिवाणा, आहोर, थराद, भीनमाल, डूडसी, आकाली, गतवा, गुढाबालोतरा प्रतिष्ठा ध्वजदण्ड बाबली, बलदूर, मण्डवारिया, सेदरिया, गुढा, नून भीनमाल, आकाली, सूरा, डूडसी, सगली, बाडमेर, धानेरा, नेनावा, नारोली, सिवाडी, भाण्डवा, जीवाणी, विशनगढ़, धानसा, कोरा उड, सांधू, भीनमाल, पावा, जोधपुर, वराद बम्बई, सियाणा, जोगापुरा, मोहनखेड़ा, नून बागरा शांति स्नात्र : सायला राजस्थान के जालोर जिलान्तर्गत सायला स्थित है । सायला में पूज्य गुरुदेव राजेन्द्रसूरीश्वरजी का सं. १९५५ में आगमन हुआ । पूज्य गुरुदेव की शुभ प्रेरणा से आचार्य श्री धनचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के कर कमलों से जिनालय की प्रतिष्ठा माघ शुक्ला १४ संवत् १९७१ में सम्पन्न हुई आचार्य श्री का चातुर्मास भी । राजेन्द्र ज्योति For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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