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________________ १७. कनघेटी : कनघटी में १ बार महोत्सव हुआ । (मन्दसौर) १८. धुंधड़का धंधड़का में १ बार महोत्सव हुआ। (मन्दसौर) १९. नहारगढ़ : नहारगढ़ में १ बार महोत्सव हआ। २०. पिपलोद : पिपलोद में १ बार महोत्सव हुआ। (उज्जैन) २१. देवास : देवास में १ वार महोत्सव हुआ। २२. अलीराजपुर : अलीराजपुर में १ बार महोत्सव हुआ। २३. लक्ष्मणीजीतीर्थः लक्ष्मणीजी तीर्थ में १ बार महोत्सव हुआ। २४. कुक्षी : कुक्षी में १ बार महोत्सव हुआ। २५. बाग : बाग में १ बार महोत्सव हुआ। २६. नागपुर : नागपुर में १ बार महोत्सव हुआ। २७. फिरोजाबाद : फिरोजाबाद में १ बार महोत्सव हुआ। २८. थराद : थराद में ३ बार महोत्सव हुए। २१. पालीताना : पालीताना में २ बार महोत्सव हए । अठारह अभिषेपः शान्तिस्नात्र १. मन्दसौर : मन्दसौर के जिन मंदिरों में ५ महोत्सव हुए। २. सीतामऊ : आदिनाथ जिनालय में महोत्सव हुआ। ३. टांडा टांडा में जिन मंदिरों में ४ महोत्सव हुए। ४. उपरवाड़ा : वासुपूज्य मंदिर में महोत्सव हुआ। (जावरा) ५. हतनारा : आदिनाथ मंदिर में महोत्सव हुआ। (जावरा) प्राण प्रतिष्ठा १. मन्दसौर : नई आबादी जिन मंदिर में तथा अजितनाथ मंदिर जनकपुरा में महोत्सव हुआ। २. जावद : जावद के जिन मंदिरों में ४ महोत्सव हुए। ३. जावरा : जावरा के आदिनाथ जिन मंदिरों में महोत्सव हुआ। स्वर्गीय आचार्य श्री यतीन्द्रसूरीश्वरजी आदि मुनिमण्डल के सानिध्य में। ४. उज्जैन : अवंतिपार्श्वनाथ जिन मंदिर में महोत्सव हुआ ५. इन्दौर : जूना कसेरा बाखल में आदिनाथ भगवान का प्रवेश कराया। ६. संजीत : यहां जिनालय में प्रवेश कराया। ७. शुजालपुर : यहां आदिनाथ जिनालय में महोत्सव हुआ। ८. देवास : यहां नवीन जिन मंदिर में महोत्सव हुआ। ९. रिंगनोद (धार): यहां आदिनाथ जिन मंदिर में महोत्सव हुआ। १०. खाचरोद : यहां आदिनाथ जिनालय में महोत्सव हुआ। ११. आलोट : यहां वासुपूज्य नवीन जिन मंदिर में महोत्सव हुआ। १२. अलीराजपुर : यहां शातिनाथ जिनालय में महोत्सव हुआ। १३. कुक्षी : यहां आदिनाथ जिनालय में महोत्सव हुआ। १४. बाग : यहां विमलनाथ मंदिर में महोत्सव हुआ। १५. कामठी : यहां आदिनाथ मंदिर में महोत्सव हुआ। (नागपुर) १६. खेरागढ़ : यहां आदिनाथ मंदिर में महोत्सव हुआ। १७. फिरोजाबाद : यहां आदिनाथ मंदिर में महोत्सव हुआ । १८. बालोदा : यहां आदिनाथ मंदिर में महोत्सव हुआ । लक्खा ऐतिहासिक जिनालय, कचनारा मालवांचल स्थित दशपुर को प्रशासनिक दृष्टि से ग्राम कचनारा को प्रथम होने का गौरव प्राप्त है। ___लहलहाते खेतों के मध्य नीलाच्छादित सुरभित समीर में पल्लवित ग्राम के मध्य विश्वबंद्य जैनाचार्य श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के करकमलों से प्रतिष्ठित प्रथम तीर्थंकर भ. आदिनाथ की मनोहारी प्रतिमा आधुनिक साज सज्जायुक्त दर्शनीय है । जिन विम्ब की प्रतिष्ठा माघ शुक्ला सं. १९४८ को ग्राम श्रेष्ठि रामलालजी सुराणा मियाचन्दजी ओस्तवार, घेवरचन्दजी कर्नावट, जीवराजजी कर्नावट आदि की गौरवमयी उपस्थिति तथा निकटवर्ती ग्राम सरसोद, लसुडियाईला, पिपलिया जोधा, आन्या आदि के जैन धर्मावलम्बियों ने गगनभेदी शंखनाद के वातावरण तोरण द्वार से सज्जित विशाल पाण्डाल में (पांच सौ वर्ष पूर्व की प्रतिष्ठित प्रतिमा सं. १५४८), भ. चन्द्रप्रभु की प्रतिमा सहित पूज्य गुरुदेव के करकमलों से पुनः प्रतिष्ठापित की गई। यह पावन स्थली जैन-अजैन के हृदयों में साधना के अनन्यतम केन्द्र के रूप में सर्वमान्य है। . स्थानीय ग्राम के युवकों द्वारा जिनालय को कलात्मक बनाने का अपूर्व सहयोग मिल रहा है। जिनमें श्री मदन सुराणा एवं श्री हस्ती जैन का नाम उल्लेखनीय है। सभी ने संकल्प किया है कि विशाल चैत्यालय का निर्माण किया जावे । जिनालय के समीप ही श्री राजेन्द्र जैन पौषधशाला निर्मित है। लगभग ८० वर्ष पूर्व शाह श्री घेवरचन्दजी कर्नावट ने अपनी दानशीलता का परिचय देकर इसका निर्माण कराया। - नयागांव मंदसौर जिले के अन्तर्गत नयागांव मालव तथा मेवाड़ की संधि स्थल पर है । यहां १० परिवार जैन समाज के हैं। संवत् १९४०--श्रीमद् विजय धनचन्द्रसूरीश्वरजी महा. द्वारा मूलनायक महावीर स्वामी, दायें चन्द्रप्रभुजी, बायें पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा की गई। चौधरी जीवराजजी मोतीलालजी ने निर्माण कराया पू. श्री राजेन्द्र सूरीश्वर के उपदेश से । संवत् २०१८--श्रीमान शोभालालजी भंवरलालजी डूंगरवाल ने उपाश्रय का निर्माण करवाया और आचार्य राजेन्द्रसूरीश्वरजी तथा यतीन्द्रसूरीश्वरजी के तेल चित्र की स्थापना मुनिराज श्री सौभाग्यमलजी, देवेन्द्रविजयजी, श्री जयंतविजयजी मधुकर के द्वारा स्थापित हुए। बी.नि. सं. २५०३ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012039
Book TitleRajendrasuri Janma Sardh Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsinh Rathod
PublisherRajendrasuri Jain Navyuvak Parishad Mohankheda
Publication Year1977
Total Pages638
LanguageHindi, Gujrati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size38 MB
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