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________________ -यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ आधुनिक सन्दर्भ में जैन धर्म सन्दर्भ / टिप्पणी हों, जिन्हें हम अभी तक नहीं पहचान पाए हों। उनका एवं कई वैज्ञानिकों का सोच यह भी है कि जिसे विज्ञान अभी सूक्ष्म मान १. स्वामी कार्तिकेय, कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा ३१९. रहा है, वह सूक्ष्म न होकर भावी सूक्ष्म-सूक्ष्म की तुलना में स्थूल २. मेरे नाम पर लाटरी खुलने वाला यह कथन काल्पनिक हो व जब सूक्ष्म-सूक्ष्म समझ में आ जाएगा, तब छिपे हुए सूक्ष्म उदाहरण के रूप में है। इसे व अन्य भी ऐसे उदाहरणों को सूक्ष्म कारण ऐसे ज्ञात होंगे कि समान कारण से समान कार्य कृपया लेखक के जीवन से संबंधित न मानें। होता है, यह सिद्धान्त पुनः मान्य हो जाए। ३. लाटरी के उदाहरण का अर्थ कृपया यह न लिया जाए कि ५. wayne W.Dyer, "You'll see it when you believe it. अध्यात्म लाटरी का समर्थन करता है। (Arrow Books, London, 1990), Page 247. ४. यह लाटरी के खुलने की वैज्ञानिक प्रक्रिया की चर्चा ६. Louise L. Hay, 'You can heal your Life'. (Hay आइन्स्टीन के समान कारण होने पर समान कार्य होने के House, Santa Monica, USA) P.7 सिद्धान्त पर आधारित है। इस संदर्भ में निम्नांकित ७. सन्दर्भ ५, पृ. ६७ पर वेन डायर निम्नांकित पंक्तियों में । वैज्ञानिक विकास भी ध्यान देने योग्य है। यह बात व्यक्त करते हैं: इस शताब्दी में विकसित क्वाण्टम सिद्धान्त से चांस, "In our dreaming body we create everything that happens. We create all of the people, the events, संभावना आदि को वैज्ञानिक स्वीकृति मिली है। इतना ही नहीं, everybody's reactions, the time frame, everything. समान कारण होते हुए भी समान कार्य न होने की बात भी We also create everything that we need for our क्वाण्टम सिद्धान्त स्वीकारता है। इसी कारण क्वाण्टम सिद्धान्त waking consciousness." में एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त ऐसा भी है, जिसे अनिश्चितता का ८. जैन-दर्शन के सिद्धान्तों के अनुसार अध्यात्म के अभ्यास सिद्धान्त (Uncertainty Principle) कहा जाता है। क्वाण्टम के धनी गृहत्यागी सन्त सभी के प्रति पूर्ण क्षमा भाव सिद्धान्त में कई बातें इतनी विशिष्ट हैं कि न्यूटन के नियम आदि रखते हैं। पुराने चिरसम्मत सिद्धान्त इसके सामने फीके हो गए हैं। कोई प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एवं ईसाई धर्म के विशेषज्ञ Dr.Norभी आधुनिक प्रयोग क्वाण्टम सिद्धान्त को परास्त नहीं कर man Vincent Peale अपनी पुस्तक 'AGuide to conसका है, अपितु नए-नए प्रयोगों की व्याख्या करने हेतु क्वाण्टम fident Living' (Fawcatt publications, Inc. Greenसिद्धान्त की विशेष आवश्यकता होती है। क्वाण्टम सिद्धान्त के wich, Conn.) के पृष्ठ १८१ पर अध्यात्म की महत्ता प्रशंसक आइन्स्टीन भी रहे हैं व क्वाण्टम सिद्धान्त को आइन्स्टीन निम्नांकित रूप में व्यक्त करते हैं - ने भी पनपाया है किन्तु आइन्स्टीन क्वाण्टम सिद्धान्त के "In whatever way spiritual experience occurs, it अनिश्चितता सिद्धान्त, चांस, संभावना आदि को अंतर्मन से is a method superior to psychological discipline स्वीकार नहीं कर सके। समान कारण होने पर भी समान कार्य and is more effective and certain of permanence. This comparison is not to be interpreted as miniनहीं होता है, इस बात को भी आइन्स्टीन ने अस्वीकार करना mizing the value of psychological discipline, a चाहा। उनका सोच यह रहा कि हम जिन्हें समान कारण कह रह . value I readily grant." हैं, वे समान कारण न हों, हो सकता है कुछ विभिन्न कारण ऐसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012036
Book TitleYatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinprabhvijay
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1997
Total Pages1228
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size68 MB
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