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________________ २५] [ हजारीमल बांठिया पं० सुखलालजी बनारस से मेरे साथ ही यहां पर आये हैं । वे वहां से अब मुक्त हो गये हैं । उनकी जगह पं० दलसुख मालवरिया की नियुक्ति हो गई है। पंडितजी प्रायः अब यहीं पर मेरे साथ ही रहेंगे । श्री राहुल सांस्कृत्यायन भी आजकल यहीं मेरे पास हैं । वे एक बहुत गम्भीर और वृहत् बौद्ध ग्रन्थ का संपादन कर रहे हैं जो भवन की ओर से प्रकाशित होगा । श्रीमान पं० दशरथजी शर्मा ने कर्मचन्द प्रबन्ध के विषय में जो लिखवाया है इसलिए उन्हें धन्यवाद दीजिये । और इसका इन्ट्रोडक्शन विस्तृत रूप में श्री दशरथजी लिखने का कष्ट करेंगे तो बहुत ही उत्तम होगा। उनसे बढ़कर इस काम के लिए कौन अधिक अधिकारी हो सकता है ? मेरा विचार अप्रेल के अन्त में उधर आप लोगों से मिलने को प्राने का है । बम्बई ७-३-४४ कार्य की व्यग्रता इतनी अधिक बढ़ गई है कि जिससे में अपना इच्छित काम समय पर नहीं कर पाता भवन की प्रवृत्ति इतनी विस्तृत और विविध कार्यवाली हो रही है कि जिसके काम से मुझे एक मिनट भी छुटकारा नहीं मिलता और उसमें मुझे मेरी सिंघी ग्रन्थ माला का व्यवहार तो नियमित रखना ही पड़ता है । रोज कई ग्रन्थों के प्रूफ आते ही रहते हैं उनको देखते देखते दिन खतम हो जाता है । युद्ध के कारण बहुत कुछ कठिनाई उपस्थित हो रही है, नहीं तो अभी तक बहुत काम हो जाता कलकत्ते में श्री सिधोजी का स्वर्गवास हो गया। सब छोड़कर चले गये। क्या साहित्य प्रेम, क्या सज्जनता और कैसा उनका खजाना - जिसके सामने सब जैन हैं - ऐसे पुरुष भी सब छोड़कर चले गये । हमें इससे बड़ा दुःख और खेद हो रहा है । शुभ् । Jain Education International बम्बई ५-७-४४ For Private & Personal Use Only बम्बई २३-७-४४ क्या उनकी उदारता, भिखारी मालूम देते मैं ता० १८ से रवाना होकर यहां २० को आया था फिर ता० २३ को अजीमगंज जाता हुआ जो कल वापस लौटा हूँ जीमगंज में ता० २५, २६, २८ के दिन श्री बहादुरसिंह बाबू और उनकी माताजी के पुण्य 'स्मरणार्थ वरसी और पूजा आदि का समारम्भ था इसलिये जाना हुआ। प्रायः इन लोगों ने एक लाख रुपया खर्च किया । मैं यहां पर अब नाहर लाइब्रेरी को लेने ही के लिये आया 1 सिंधी पार्क कलकत्ता १-२-४५ www.jainelibrary.org
SR No.012033
Book TitleJinvijay Muni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherJinvijayji Samman Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages462
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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