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________________ सत साध्वी निरुपमा 0 विदुषी साध्वी श्री सिद्धकुंवर जी गुरुणी सा गुणों की खान, करे गुणगान मुझे यह जानकर परम प्रसन्नता हुई कि परम | है सूरत प्यारी, लगती है मोहनगारी विदुषी साध्वी श्री कुसुमवती जी म० का अभि-18 नन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। पूजनीया महा- 728 स्वर कोकिल के सम प्यारा है, भव्यों को तिराने वारा है सती जी हमारी स्थानकवासी जैन परम्परा की | नहीं भरता है दिल ऐसी वाणी प्यारी..." एक विदुषी साध्वीरत्न हैं। आपका गरिमामय जीवन महिमा मंडित है, आपके पावन जीवन | व्याख्यान में जादू भरा हुआ, दर्शन से समाज को दिशा निर्देशन मिलता रहे जिसने भी सुना आनन्द हुआ इन्हीं शुभकामनाओं के साथ अन्तर्ह दय से मंगल लगता है सुनते रहें जिन्दगी सारी".....' कामना करती हैं। है नाम 'कुसुम' आनन्द दाता, संघ सारा ही तो गुण गाता महिमा तो फैली आपकी जगत मंझारी........ साध्वी सुप्रभा गुण इतने हैं नहीं गा सकते, नहीं शब्द है हम पे कह सकते देना ऐसा आशीष हो भव से पारी........ 0 साध्वी सुप्रभा इस विश्व पटल पर कई चित्र उभरते रहते हैं पर उनमें से कुछ तो मिट जाते हैं और कुछ चित्र जो उभरते हैं और उभरे हुए ही रहते हैं। ऐसा ही एक भव्य चित्र है-परम विदुषी साध्वी श्री कुसुमवती जी का, १० वर्ष की लघुवय में आपने संयम पथ पर कदम बढाये तभी से आज तक स्व-पर कल्याण में आपने अपने जीवन को लगाया है। आपका पावन पुनीत जीवन नारी मात्र के लिए एक आदर्श है । मैं इस अभिनन्दन की वेला पर आपके चरणारविन्दों में वन्दन करती हुई यही मंगलकामना करती हूँ कि आप दीर्घायु हों व हमें सदा मार्ग दर्शन प्रदान करती रहें। कुसुमवतीजी पुण्यवान, बड़ी गुणवान महिमा अपारी, सब गुण गावें नर नारी""" जन्म उदयपुर में पायो मा-पितु का नाम चमकाया लघुवय में दीक्षा-व्रत को तुमने धारी" महासती सोहन गुरुणी पाई शिया प्रथम तो कहलाई ज्ञान-ध्यान तो किया खूब ही भारी" वाणी मीठी प्यारी लगती सबके दिल को यह हर लेती जनता तो सुन-सुन खुश होती है सारी" ये सागर सम गम्भीरा हैं व्रत पालन में ये वीरा हैं व्रत-तप-संयम-गुण के तो हैं भण्डारी" 'सुप्रभा' आपके गुण गाती चरणों में शीष को झुकाती अभिनन्दन शत-शत करते हैं हर बारी" - प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ www.jainelibraen
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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