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________________ - जम्बूद्वीप का पूर्वी क्षेत्र-भद्रवर्ष (घ) जम्बूद्वीप और भारतवर्ष : पौराणिक मा मेरु के पूर्व का यह प्रदेश भद्रवर्ष के नाम से इतिहास-विष्णुपुराण (२-१) के अनुसार स्वयंभ ) हिन्दू पुराणों में कहा गया है। जैन भूगोल के अनु- मनु के दो पुत्र थे प्रियव्रत और उत्तानपाद । प्रिय. A सार यह विदेह का पूर्वी भाग है। इसके उत्तर में व्रत ने समस्त पृथ्वी के सात भाग (सप्तद्वीप) ट्र नील (Tien Shan Range) तथा दक्षिण में निषध करके उन्हें अपने सात पुत्रों में बाँट दिया-. . (Hindu Kush-Kunlun) पर्वतमाला है। इसके अग्नीध्र को जम्बूद्वीप, मौधातिथि को प्लक्ष, पश्चिम में देवकट और पूर्व में पूर्व समुद्र है। अमुष्यत् को शाल्मली, ज्योतिष्मत् को कुश, का आधुनिक भूगोल के अनुसार यह प्रदेश तरीम पुलिमत् को क्रौंच, मध्व को शक और शबल को ke तथा ह्वांगहो (Tarim and Hwang-Ho) नदियों पुष्कर द्वीप। कछार है। दूसरे शब्दों में सम्पूर्ण सिक्यिांग जम्बूद्वीप के राजा अग्नीध्र के नौ पुत्र थे । (Sikiang) तथा उत्तर-चीन प्रदेश इसमें समाविष्ट उन्होंने जम्बू देश के नौ भाग करके उन्हें अपने नौ है। यहाँ सीता नदी बहती है । संक्षेप में हम कह पुत्रों में बाँट दिया-हिमवन् का दक्षिण भाग हिम सकते हैं कि इस भद्रवर्ष (पूर्व विदेह) प्रदेश के (भारतवर्ष) नाभि को दिया। इसी प्रकार हेमकूट का अन्तर्गत उत्तरी चीन, दक्षिणी चीन तथा त्सिग सिम्पुरुष को, निषध हरिवर्ष को, मेरु के मध्य वाला लिंग (Tsing Ling) पर्वत का दक्षिणी भाग आता भाग इलावृष को, इस प्रदेश और नील पर्वत के है। यहाँ के निवासी पीत वर्ण के हैं। मध्य वाला भाग राय को, इसके उत्तर वाला श्वेत ___आधुनिक भूगोल के अनुसार इस नदी का नाम प्रदेश हिरण्यवत को, शृंगवान् पर्वत से घिरा श्वेत किजिल सू (Kizil-Su) है ।। का उत्तर प्रदेश कुरु को, मेरु के पूर्व का प्रदेश जम्बूद्वीप का दक्षिणी क्षेत्र भद्र को तथा गन्धमादव एवं मेरु के पश्चिम का जम्बूद्वीप के दक्षिण प्रदेश का वर्णन मेरु के प्रदेश केतुमाल को दिया। प्रसंग में दिया जा चुका है। तदनुसार मेरु नाभि के सौ पुत्र थे उनमें ज्येष्ठ भरत थे। (पामीर) के दक्षिण में निषध, हेमकूट (जैन पर- नाभि ने अपने प्रदेश “हिम" अर्थात् भारतवर्ष को 10) म्परा में महाहिमवान्) तथा हिमवान् पर्वत है और नौ भागों में विभक्त करके अपने को पुत्रों बाँट || इन पर्वतों से विभाजित क्षेत्र के नाम हैं, क्रमशः दिया। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार भारतवर्ष के ये 12 हिमवर्ष (जैन परम्परा में हरि) किम्पुरुष (जैन नौ भाग इस प्रकार है-इन्द्रद्वीप, ताम्रपर्ण, परम्परा में हैमवत) और भारतवर्ष (जैन परम्परा मतिमान्, नाव द्वीप, सौम्य, गन्धर्व,वरुण तथा कुमामें भरत)। रिका या ब्यारी। यह सभी प्रदेश मेरु (पामीर्स) से लेकर हिन्द जैन परम्परा के अनुसार नाभि और मरुदेवी महासागर तक का समझना चाहिए। भारत के के पुत्र, ऋषभ, प्रथम युगपुरुष थे। उन्होंने विश्व || दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम में जो क्रमशः हिन्द महा- को असि, मसि, कृषि, कला, वाणिज्य और शिल्प सागर एवं प्रशान्त तथा अरब सागर हैं वहीं लवण रूप संस्कृति प्रदान की। उनके एक सौ एक पुत्र समुद्र है। थे। इनमें भरत और बाहुबली प्रधान थे । संसार (2 MR.MRITAT/ R १. डा. एस. एम. अली, "जिओ० आफ पुरान्स" पृ० ६६-१०८, अध्याय-७, रीजन्स ऑफ जम्बूद्वीप भाद्रवर्ष । पंचम खण्ड : जैन साहित्य और इतिहास 6. साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थORG ducation Internationen Sor Private & Personal Use Only www.janwaerary.org
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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