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________________ यह प्रसिद्ध है कि एशिया के भू-भाग में अति अर्थ है-हिरण्यवती का अर्थ है-जहाँ सुवर्ण प्राप्त प्राचीनकाल में दो राज्यों की स्थापना हुई थी- हो, सुवर्णकूला अर्थ है-जिसके तट पर सुवर्ण हो आक्सस नदी (oxus River) के कछार में बैक्ट्रिया और जरफशान का अर्थ है-सुवर्ण को फैलाने ro (Bactria)तथा जरफसान नदी और कशका दरिया वाली (Scatterer of Gold) । (River Jarafshan and Kaska Daria) के कछार में तृतीय क्षेत्र, जो कि शृंगवान् पर्वत के उत्तर सोगदियाना (Sogdiana) राज्य आज से २५०० में है, उत्तरकुरु है। जैन परम्परा में इसे ऐरावत श्रा या २००० वर्ष पूर्व ये दोनों राज्य अत्यन्त घने रूप पर्वत कहा गया है। यह प्रदेश आधुनिक इटिश ५ से वसे थे । यहाँ के निवासी उत्कृष्ट खेती करते थे। (Irtish) दी औब (The Ob) इशीम (Ishim) in यहाँ नहरें थीं। व्यापार और हस्तकला कौशल में तथा टोबोल (Tobol) नदियों का कछार प्रदेश है। भी ये राज्य प्रवीण थे। दूसरे शब्दों में आधुनिक भौगोलिक वर्गीकरण के 4 __ ऐसा कहा जाता है कि "समरकन्द" की अनुसार यह क्षेत्र साइबेरिया का पश्चिमी प्रदेश है। स्थापना ३००० ई० पू० हई थी। अतः "सोग- इस प्रकार जम्बूद्वीप का यह उत्तरी क्षेत्र एक भी दियाना" को हम मानव संस्थिति का सबसे बहुत लम्बे प्रदेश को घेरता है जो कि उराल पर्वत प्राचीन संस्थान कह सकते हैं। "सोगदियाना" का और कैस्पियन सागर से लेकर येनीसाइ नदी नील और श्वेत पर्वतमालाओं से तथा पडौसी (Yenisai River U.S.S.R.) तक तथा तुर्किस्तान । राज्य, बैक्ट्रिया (केतुमाल) जिसका आगे वर्णन टीन शान पर्वतमाला से लेकर आर्कटिक समुद्रतट करगे, से विशेष सम्बन्धों पर विचार करने पर दम तक जाता है। इस निष्कर्ष पर पहँचते हैं कि पौराणिक "रम्यक जम्बूद्वीप का पश्चिमी क्षेत्र-केतुमाल वर्ष प्राचीनकाल का "सोगदियाना" राज्य है। । मेरु (पामीर्स) का पश्चिम प्रदेश केतुमाल है। बुखारा का एक जिला प्रदेश, जिसका एक नाम - जैन भूगोल के अनुसार यह विदेह का पश्चिम भाग "रोमेतन" (Rometan) है, सम्भवतः "रम्यक" का है। इसके दक्षिण में निषध और उत्तर में नील ही अपभ्रंश है। पर्वत है। निषध पर्वत को आधनिक भगोल के अन-19 सार हिन्दूकुश तथा कुनलुन पर्वतमाला (Hinduदूसरा क्षेत्र जो कि श्वेत और शृंगवान् पर्वत- Kush Kunlun) माना गया है। यह केतुमाल प्रदेश मालाओं के मध्य स्थित है, हिरण्यवत् है । हिरण्य- चक्षनदी (Oxus River) तथा आमू दरिया का र वत् का अर्थ है सुवर्णमाला प्रदेश । जैन परम्परा में कछार है। इसके पश्चिम में कैस्पियन सागर इसे "हैरण्यवत्" कहा गया है। इस क्षेत्र में बहने (Caspian Sea) है जिसमें आल्पस नदी अकार | वाली नदी का पौराणिक नाम है "हिरण्यवती"। मिलती है। उसके उत्तर-पश्चिम में तुरान का र आधुनिक जरफशान नदी इसी प्रदेश में बहती है। रेगिस्तान है। इस प्रदेश को हिन्दू पुराण में इलास जैन परम्परा के अनुसार इस नदी का नाम सुवर्ण- वर्त कहा गया है। इस प्रदेश में सीतोदा नदी कूला है । यह एक महत्वपूर्ण बात है कि हिरण्यवती, बहती है। इसी प्रदेश में बैक्ट्रिया राज्य था सुवर्णकूला और जरफशान तीनों के लगभग एक ही जिसे हम पहले कह चुके हैं। १. डा० एस० एम० अली-जिओ० आफ पूरान्स पृष्ठ ८३.८७ (अध्याय पंचम रीजन्स आफ जम्बूद्वीप, नार्दन रीजन्स-रमणक, हिरण्यमय एण्ड उत्तरकुरु) २. वही पृष्ठ ८८-६८ (अध्याय ६, रीजन्स आफ जम्बूद्वीप केतुमाल) पंचम खण्ड : जैन साहित्य और इतिहास 27568 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ Jain station International Sorivate & Personal Use Only
SR No.012032
Book TitleKusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherKusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
Publication Year1990
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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