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________________ आधुनिक युग और धर्म डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा दर्शन विभाग, काशी विद्यापीठ, वाराणसी-२ आधुनिक युग को प्रायः हम इन नामों से सम्बोधित करते हैं-'विज्ञान का युग', 'समाजवाद का युग' तथा "गांधीवाद का युग"। इस युग में विज्ञान के विविध चमत्कार देखे जाते हैं। सर्वत्र हमें विज्ञान का प्रकाश ही दिखाई देता है। अतः इस युग को विज्ञान के साथ सम्बन्धित करना अच्छा लगता है। कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद का विरोध करके समाजवाद को प्रतिष्ठित किया। तब से आज तक समाजवाद को विभिन्न रूपों में विकसित हम पाते हैं और इसका वर्तमान युग पर गहरा प्रभाव है। फिर तो क्यों नहीं हम इस युग को समाजवादी युग कहें ? महात्मागांधी जो आज के युग पुरुष माने जाते हैं, ने भारतवर्ष को तो स्वतन्त्रता दिलाई ही, विश्व के सभी गरीब नौर गुलाम लोगों को समुचित मार्ग प्रदर्शन करने की कोशिश की। अतः विश्व में गांधीजी के सिद्धान्तों के प्रभाव देखे जाते हैं और हम भारतवासी तो 'गांधीवाद' को ही अपना 'श्रेय' समझकर चल रहे हैं । यद्यपि यह बात कुछ और है कि हम इस सिद्धान्त को सही रूप में अपनाने में कहाँ तक सफल हो रहे हैं ? ___ अब सर्व प्रथम हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि धर्म क्या है ? धर्म हमारे जीवन के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है ? तभी हम यह निर्णय कर सकेंगे कि आधुनिक युग के जो तीन रूप हैं उनसे धर्म बिलकुल अलग है अथवा इसका भी उनमें किसी न किसी रूप में समावेश है। धर्म पाश्चात्य विचारक गैलवे ने धर्म को परिभाषित करते हुए कहा है-'धर्म वह है जिसमें अपने से परे किसी भक्ति के प्रति मानव श्रद्धा के द्वारा अपनी संवेगात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करके जीवन में स्थिरता प्राप्त करता है और जिस स्थिरता को वह उपासना और सेवा में अभिव्यक्त करता है।'' इस परिभाषा के अनुसार धर्म जिन तथ्यों से सम्बन्धित होता है, वे इस प्रकार है : (क) अपने से परे कोई शक्ति (ख) मानव की श्रद्धा (ग) संवेगात्मक आवश्यकताएं 1. Religion is a man's faith in a power beyond himself whereby he seeks to satisfy emotional needs and gains stability of life, and which he expresses in aets of worship and service". -G. Gallowey, The Philosphy of Religion, P, 184 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012026
Book TitleJaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherJaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
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