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________________ . ४० पं० जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ [खण्ड ८. हमला या अपराधिक बल प्रयोग करना (धारा ३५२ से ३५८), ९. जन शांतिभंग करना-( दंगा, वर्ग संघर्ष, विधि विरुद्ध जमाव आदि ) (धारा १४३-१५०), १०.रिष्टी कारित करना (धारा ४२७-४४०) ११. विधि विरुद्ध अनिवार्य श्रम ( धारा ३७४ ), १२. दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या व्यय हरण (धारा ३७०-७१ )। २. द्वितीय सत्य अणुब्रत (स्थूल मृषावाद का त्याग ) ए-व्रत १. कन्या के विषय में असत्य भाषण का त्याग, २. पशु के विषय में असत्य भाषण का त्याग, ३. भूमि के विषय में असत्य भाषण का त्याग, ४. धरोहर दबाना या उस विषय में असत्य भाषण का त्याग, ५. असत्य साक्षी का त्याग । बो-अविचार १. बिना विचार किये किसी पर मिथ्या आरोप लगाना, एकान्त में मंत्रणा करते हए व्यक्तियों पर मिथ्या आरोप लगाना, ३.. विश्वास करने वाले स्त्री या मित्र आदि की गुप्त मन्त्रणा प्रकाशित करना, ४. बिना विचारे या अनुपयोग से दूसरों को असत्य उपदेश देना, ५. कूट लेख की रचना करना । ३. तृतीय अचौर्य अणुव्रत (स्थूल अदत्तादान का त्याग) ए-व्रत १. खात खनना, १. मिथ्या घोषणा, मिथ्या प्रमाणपत्र, साक्ष्य विलो पन, मिथ्या सूचना, मिथ्या दावा, मिथ्या आरोप (धारा १९७-२१२), २. न्यायिक कार्यवाही में मिथ्या साक्ष्य देना और गढ़ना (धारा १९३-१९६ ), ३. कूट रचना या मिथ्या लेखा करण ( लेख्य पत्र, ... मुद्रा, पट्टा आदि का ) ( धारा ४७५-४७७ ), ४. छल कपट ( धारा ४१७-२४ ) ५. न्यास भंग ( धारा ४०६-४०९), ६. मानहानि ( धारा ५००-५०२ ), ७. किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वास का अप मान (धारा २९५-२९८), ८. जंगम सम्पत्ति या अन्य सम्पत्ति का दुर्विनियोग (धारा ४०३ से ४०५), ९. अपराधी या लुटेरे, डाकू को प्रश्रय देना (धारा २१२ से २१६), १. चोरी (धारा ३७९ से ३८२), २. अतिचार, गृह अविचार, प्रच्छन्न गृह अतिचार, गृह भेदन, रात्रि गृहभेदन (धारा ४४७ से ४६२), २. गांठ खोल कर चीज निकालना, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012026
Book TitleJaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherJaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
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