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________________ श्रीमान् धर्मप्र मी श्रीमती धर्मानुरागिनी भीमराजजी हजारीमलजी साकरिया सौ० बाबू बाई भीमराजजी साकरिया सांडेराव (राज.) राजस्थान की पावन पुण्य धरा जहाँ वीर भूमि के रूप में विश्रुत है वहाँ धर्मभूमि के रूप में भी उसकी ख्याति कम नहीं है। राजस्थान के वीर जहाँ रणबांकुरे रहे हैं वहाँ धर्म के क्षेत्र में भी उनके कदम पीछे नहीं रहे । यही कारण है कि जब भी ऐसे पावन प्रसंग आये तब राजस्थानियों ने अपनी आन-बान और शान को इस तरह कायम रखा कि देखने वाले विस्मय से मुग्ध हो गये। सांडेराव राजस्थान का एक सुन्दर कस्बा है, जिस कस्बे पर चमत्कार केसरी श्री वक्तावरमलजी म० की अपूर्व कृपा रही, जिसके फलस्वरूप आज सांडेराव में अमन-चैन है। शाह भीमराजजी हजारीमलजी साकरिया सांडेराव के निवासी हैं। आप बहुत ही धर्मनिष्ठ सुश्रावक हैं। आपकी धर्मपत्नी का नाम सौ० बाबूबाई साकरिया है। जो बहुत ही धर्मपरायणा सुश्राविका हैं । बाबू बाई ने अनेक बार वर्षी तप किये हैं और समय-समय पर तप की साधना करती रहती हैं। आपके दो सुपुत्र हैं श्रीमान् मोहनलालजी, श्रीमान् केसरीमलजी। दोनों भाइयों में अपार स्नेह है। आपका व्यवसाय गुजरात में कोसंबा जिला सूरत में है। आपके फर्म का नाम है-मेसर्स चौकसी केसरीमल मोहनलाल एण्ड कं०, स्टेशन रोड, कोसंबा। सांडेराव राजस्थान प्रांतीय सन्त सम्मेलन में सांडेराव के साकरिया परिवार ने जो अपूर्व सेवा का लाभ लिया है, वह बहुत ही अद्भुत है। परम श्रद्धय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म० व उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनिजी के प्रति आपका पूरा परिवार पूर्ण समर्पित है। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपका हार्दिक सहयोग प्राप्त हुआ है वह आपके हार्दिक भक्ति को उजागर कर रहा है। ( ५ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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