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________________ श्रीमान् धर्मप्र मी गुरुभक्त रणजीतमलजी लोढा "अजमेर " श्रीमान् धर्मप्र मी गुरुभक्त महेन्द्रकुमारजी लोढा “अजमेर " राजस्थान की पावन पुण्य धरा में समय-समय पर नर-रत्नों ने जन्म लेकर उस धरती को अपनी आन-बान और शान से चमत्कृत किया । कितने ही ऐसे नररत्न हुए हैं जिनके जीवन की चमत्कृति हजारों-हजार वर्षों तक रही है। नागौर एक ऐतिहासिक भूमि है जिसका सांस्कृतिक इतिहास बहुत ही उज्ज्वल और गौरवपूर्ण रहा है । नागौर के इतिहास में लोढ़ा परिवार का योगदान अपूर्व है । श्रीमान् चंचलमलजी सा० लोढ़ा नागौर के एक जाने-माने मेधावी व्यक्ति थे । आपकी धर्मपत्नी का नाम उमराव कुंवर था । श्रीमान् धर्मप्रेमी रणजीतमलजी और श्रीमान् महेन्द्रकुमारजी आदि आपके सुपुत्र हैं । आप दोनों भाइयों में राम और लक्ष्मण की तरह परस्पर प्रेम-स्नेह और सद्भावनाएँ हैं । आप दोनों भाइयों का व्यवसाय अजमेर में ओव्हरसीज ट्रेड एजेन्सीज के नाम से है । पहले व्यवसाय में व्यस्त रहने के कारण धार्मिक साधना के प्रति दोनों ही भ्राताओं में रुचि कम थी । सन् १९८३ में परम श्रद्ध ेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी म० और उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनिजी म० तथा साध्वीरत्न महासती पुष्पवती जी म० का वर्षावास मदनगंज किशनगढ़ हुआ । उस वर्षावास में आपका परिचय उपाध्याय श्री जी और महासती जी से हुआ। जिससे आपकी धार्मिक भावनाएँ दिनप्रतिदिन बढ़ती रहीं । श्रीमान् धर्मप्रेमी रणजीतमलजी सा० के धर्मपत्नी का नाम धर्ममूर्ति पवनदेवी है और आपके सुपुत्र का नाम रवीन्द्र कुमार और महेश कुमार है । श्रीमान् महेन्द्र कुमारजी की पत्नी का नाम धर्मानुरागिनी सुशीलादेवी है और सुपुत्र का नाम ललितकुमार और सुपुत्री कु० प्रीतू है । इस प्रकार आपका सम्पूर्ण परिवार श्रद्धय उपाध्याय श्री जी और महासती पुष्पवतीजी म० के प्रति समर्पित है। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपने आर्थिक अनुदान प्रदान कर अपनी भक्ति का परिचय दिया है। ( ४ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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