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________________ श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ Jain Education International श्री जैन दिवाकर जी महाराज की संगठनात्मक शक्ति के व्यक्तित्व की बहुरंगी किरणें : ३१८ : [ सृजनधर्मा सत्पुरुष द्वारा सत्प्रेरित स्वयंसेवी संगठनों का परिचय ] * कविरत्न श्री केवलमुनि जीवित स्मारक समाज-सुधार, उसके निर्माण और समाज में उच्च एवं मंगलकारी कार्य सतत होते रहे, इसके लिए मानव विभिन्न संस्थाओं का निर्माण करता है । संस्थाओं की संस्थापना के प्रमुख उद्देश्य होते हैं - समाज में किसी कल्याणकारी कार्य तथा प्रवृत्तियों को चालू रखना और उसे उन्नत एवं सुसम्बद्ध बनाना । श्री जैन दिवाकरजी महाराज मी संस्थाओं के महत्त्व से परिचित थे । वे संघीय एकता, सामूहिकता, सहकारिता के लाभों से परिचित ही नहीं, उसके सुफल में विश्वास रखते थे । वे जानते थे कि लोकोपकार के कार्य अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता । उसके लिए संस्थाओं की, सामाजिक संगठनों की आवश्यकता होती है और संस्थाएँ ही उसे सुचारु रूप से चिर काल तक कर सकती हैं। संस्थाएँ व्यक्ति के विचारों को अमर बना देती हैं। आपश्री की प्रेरणा से अनेक समाज-सेवी संस्थाओं का निर्माण हुआ । जिनमें से कुछ ये हैं । - बालोतरा में जैन मण्डल For Private & Personal Use Only विक्रम सम्वत् १९७१ में श्री जैन दिवाकरजी महाराज बालोतरा पधारे। उस समय तक वहाँ के निवासी सभा आदि के विचार से पूरे जानकार नहीं थे । उसकी स्थापना एवं संचालन के नियमों की तो उन्हें कल्पना भी नहीं थी । बालोतरा निवासी व्यक्तिगत रूप से श्रद्धालु थे, धर्मक्रियाएँ भी कर लेते थे और कोई साधु-साध्वी आ जाता तो उसके प्रवचन सुन लेते बस यहीं तक उनका धार्मिक जीवन था । संघ बनाकर किसी साधु को लाना, उसका चातुर्मास कराना - आदि बातों की ओर उनकी रुचि न थी । जैन दिवाकरजी महाराज ने अपने प्रवचनों में ये सब बातें बताईं । संस्था निर्माण की प्रेरणा दी और उसके लाभ बताए । इस लाभप्रद बात को लोगों ने समझा और बालोतरा में जैन मंडल की स्थापना हुई । जैन वीर मंडल, ब्यावर ब्यावर में जैनों की घनी आबादी है, किन्तु सम्प्रदायगत भेद-भाव का रंग भी कुछ गहरा है । जैन दिवाकरजी महाराज का ( सम्वत् १६८२) चातुर्मास वहीं हुआ । उनकी प्रेरणा से युवाशक्ति सम्प्रदायगत भेदभावों से कुछ ऊपर उठी और उन्होंने जैन वीर मण्डल की स्थापना की www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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