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________________ : १५६ : ऐतिहासिक दस्तावेज |श्री जैन दिवाकर - स्मृति-ग्रन्थ हुक्म असल वास्ते तामिल कचहरी में भेज लिखा जावे के इन तारीखों को पटे भर अगते रखने की तामील करावें। फक्त. (द०) ठाकुर साहब का ता० ६-६-३६ हुक्म कचहरी नं० २७७ वास्ते तामीलन पोलिस में लिखा जाकर नकल इतलान महाराज साहब चौथमलजी की सेवा में ईरसाल हो सं० १९६५ का असाढ़ विदी ४ ता० ६-६-३६ द० मीरजाअबदुलवेग ता० ६-६-३६ ++ + ॥ श्री रामजी ॥ ॥श्री एकलिंगजी॥ मोहर छाप नं० ५१ रजीस्टर पटा अज तरफ ठिकाना कुंतवास राज श्री माधोसिंहजी सगतावत कुंतवास .nnnn (भाणावत) ई० मेवाड़, उदयपुर । जैन सम्प्रदाय के मुनि महाराज श्री चौथमलजी आज मिती कुंतवास में पधारना होकर विराजे और व्याख्यान हवे और मैं भी सेवा को हाजिर हुआ मेरा मन बहुत प्रसन्न हुआ। नीचे लिखी प्रतिज्ञा करता हूँ। पौष विदि १० श्रीपार्श्वनाथजी भगवान् का जन्म गांठ के दिन सालोसाल अगता पालेंगे। और पट्टा में पलावेंगे। चैत्र सुदि १३ श्री महावीर स्वामीजी का जन्म गांठ दिन भी अगता पलेगा। चौमासा में चार महिना सन्त विराजेगा अगता पालेंगे व पट्टा में पलावेंगे। श्री महाराज साहब को पधारवो होवेगा और पाछो पधारवो होवेगा दोई दिन अगता पाला जावेगा। अधिक महिना में हिंसा नहीं की जावेगा और कोई करेगा तो रोक कर दी जावेगा रोक रहेगा। छोटा जानवर जो बच्चा है नहीं मारा जावेगा और दूसरों को भी पट्टा में नहीं मारने दिया जावेगा। ऊपर लिखा कलमवार सही साबत रहेगा यह पट्टा लिख मुनि महाराज के सेवा में पेश हो सनद रहे । सं० १६६६ पौष सुदि ६ गुरुवार । (द०) कामदार ठि० कुंतवास श्री रावला हुक्म से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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