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________________ श्री जैन दिवाकर स्मृति-ग्रन्थ जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १५८ : ॥ श्री नाथजी ।। ॥ श्री रामजी ॥ नकल हक्म अजतरफ पेशगाह श्रीमान् ठाकुर साहेब सरदारगढ़ मेवाड़ वाके असाढ़ विद ४ ता० ६-६-३६ ई० सं० १९६५ +Hirrrrr..+ मोहर छाप आज दिन जैन सम्प्रदाय के मुनिराज श्री चौथमलजी महाराज सरदारगढ़ : साहब का व्याख्यान धर्म विषय में किले पर हुआ । भगवान् पार्श्वनाथजी साह का Funnn.m.... का जन्म पौष विदि १० व भगवान् महावीर स्वामी का जन्म चैत्र सुदि १३ का होने से इन दोनों तिथियों पर अगता रखाने का परवाना रियासत से भी इनको हुआ है और महाराज साहब जब कभी यहाँ पधारें और वापस पधारे उस तारीख को भी अपने अगता रखना स्वीकार किया लिखा। ॥ श्री रामजी॥ ॥ श्री एकलिंगजी ॥ जगद्वल्लभ जैन दिवाकर प्रसिद्ध वक्ता पण्डित रत्न मुनिश्री १००८ श्री चौथमलजी महाराज साहब का पदार्पण गाँव थाणा (मेवाड़) मिति ज्येष्ठ शुक्ला ४ सोमवार सं० १९६६ को हुआ। उस मौके पर श्रीमान् ठाकुर साहब राजश्री मदनसिंहजी साहब ठिकाना थाणा की तरफ से हमारा अहोभाग्य है कि ज्ञानाभ्यासी संतजी का पदार्पण हमारे गाँव में हुआ। आपने निहायत सरल भाषा में उपदेश दिया। आपका उपदेश गोश गुजार होते ही मेरी जनता के ज्ञान की झलक उमड़ उठी और मैंने हस्बजेल प्रतिज्ञा की (१) हिरन की शिकार कभी नहीं करूंगा। (२) हिरन के अलावा भी रोज-सांवर व तीन किस्म के परंदे, पाँच किस्म के जानवरों पर गोली नहीं चलाऊँगा। (३) मेरे यहाँ होलिका का एहड़ा चढ़ता है सो हमेशा के लिए बन्द कर दिया है। (४) मेरे भाई जीवनसिंहजी ने भी हमेशा के लिए जीवों का अभय-दान दिया कि अपने हाथ से कभी शिकार नहीं करेंगे। (५) चैत्र शुक्ला १३ श्री महावीर स्वामी का व पौष कृष्णा १० श्री पार्श्वनाथजी का जन्म दिन होने से इन तिथियों पर धार्मिक अगते पाले जावेंगे। (६) नवरात्रि पर सात बकरे देवताओं के चढ़ाये जाते हैं सो अब दो को अभयदान दिया गया सिर्फ पाँच बकरे काम में लाये जावेंगे। (७) नानालाल धायभाई कामदार ठिकाना थाणा ने भी अपने हाथ से किसी जानवर को न मारने का त्याग किया अलावा इसके कार्तिक वैषाख में मांस का बिल्कुल त्याग किया। उपरोक्त नियमों की पूरे तौर से पाबन्दी की जावेगी। आयन्दा मुनिराज के यहाँ पधारने पर अगता पलाया जावेगा। ता०२२-५-३६ ई० (द०) मदनसिंह थाणा (द०) नानालाल धाभाई कामदार ठिकाना थाणा (मेवाड़) १ सौ-पच्चास सशस्त्र मनुष्य इकट्ठे होकर जंगल में जाते हैं वहाँ जिन्हें जो भी जानवर मिला उसे मार कर लाते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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