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________________ :१११: समय की बात श्री जैन दिवाकर - स्मृति-ग्रन्थ एक बार उसी परिवार का वह अगुआ भाई अपने जाति वालों की बरात में भूपालगढ़ पहुंचा । उस समय आचार्य श्री हस्तीमलजी महाराज अपनी शिष्य मण्डली सहित वहीं विराजमान थे। तब वह जिनधर (मोची) भाई व्याख्यान में उपस्थित हुआ। और सन्ध्या के समय मुखवस्त्रिका आसन-पुंजनी आदि धार्मिक उपकरण लेकर प्रतिक्रमण करने के लिए महाराज श्री के सान्निध्य में पहुँचा तो मुनिमंडल को मारी आश्चर्य हुआ। पूछा-तुम कहाँ के रहने वाले हो ? ओसवाल तो मालूम नहीं पड़ रहे हो ? -गुरुदेव ! मैं जोधपुर निवासी मोची परिवार का हैं। मोची और प्रतिक्रमण ? किसने दी यह प्रेरणा ? "गुरुदेव ! जैन दिवाकर श्री चौथमलजी महाराज से मेरे सकल परिवार ने समकित रत्न स्वीकार किया है। अब नियमित रूप से प्रतिक्रमण करता है। उन्हीं गुरुदेव का यह उपकार इस तुच्छ मानव पर भी हो गया है।" समी को बेहद प्रसन्नता इस बात में हुई कि विवाह में आया हुआ मोची अपनी मित्र मण्डली से अलग रह कर प्रतिक्रमण करने से चूका नहीं। नियमोपनियम की कितनी दृढ़ता ? उनके समक्ष प्रतिज्ञा करने वाले गडरिया प्रवाह में नहीं, किन्तु बहुत सोच-समझकर करते और करके उसमें दृढ़ रहते थे। उनकी दृढ़ता अनुकरणीय है। समय की बात आज से लगभग ३५ वर्ष पूर्व ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए जनता को धर्मोपदेश कराते हए पंडित रत्न श्री दिवाकर श्री चौथमलजी महाराज साहब मेवाड़ प्रदेश के ग्राम बोहेड़ा पधारे तो इस ग्राम में जैनियों का स्थानक नहीं था, न कोई पंचायती नोहरा ही। इस पर महाराजश्री को बड़ा विचार हुआ और यह फरमाया कि इस ग्राम में जाटों का चोरा, जणवोका चोरा, डांगियों का चोरा है, परन्तु महाजनों का गबोरा है। इस पर सभी उपस्थित जैन भाइयों को बात चुभगई व उसी समय प्रण किया कि हम शीघ्र ही अपना स्थानक भवन बनायेंगे व उसी समय एक कच्चा मकान बनवाया गया व उसी प्रेरणास्वरूप ग्राम के श्रावकों व अन्य संघों के सहयोग से एक तिमंजिला भवन बना है जो सामायिक-संवर व विश्राम आदि के काम आता है। यह थी दिवाकर जी महाराज साहब की प्रेरणा! गणेशलाल धींग छोगालाल धींग सचिव अध्यक्ष (साधुमार्गी जैन संघ बोहेड़ा, जिला चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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