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________________ सराहनीय व्यक्तित्व • श्रीलक्ष्मी चन्द्र जैन, बड़ौत डॉ० कोठिया सन् १९४७ से १९६० तक दि० जैन कालिज बड़ौतमें प्राध्यापक रहे। मैं उस समय कालिज-प्रबन्ध-कारिणीका मन्त्री था। उनकी सेवाएं प्राप्त करके प्रबन्धकोंको बहुत हर्ष हुआ और उन्होंने गौरवका अनुभव किया । अध्यापनका कार्य तो कोठियाजीका अति सराहनीय था ही, कालेजके सभी सांस्कृितक, साहित्यिक और धार्मिक उत्सवोंमें भी वे अग्रणी रहते थे। जैन समाजके स्वाध्यायप्रेमियोंसे भी कोठियाजीका सम्पर्क बराबर बना रहता था और उनके अध्ययनमें भी वे सदा सहायक रहते थे। मैंने तो षटखण्डागमका स्वाध्याय उनकी सहायतासे ही शुरु किया । कालिजका हर व्यक्ति उनके गुणोंसे प्रभावित था और सर्वत्र ही उनकी सराहना होती थी। मेरी हदयसे शुभ-कामनाएँ हैं कि उनकी सामाजिक, धार्मिक तथा जैन दर्शनको प्रकाशमें लानेकी सेवाएँ सदैव प्राप्त रहें और उस सेवाके लिए वे सदैव स्वस्थ रहें और दीर्घजीवी हों। संकल्पकी साकार मूर्ति .श्री राजेन्द्र पटोरिया पत्रकार, नागपुर डॉ. कोठिया संकल्पशक्ति, धैर्य व कर्मठताकी साकार मूर्ति हैं । कार्योंके पुलन्देमें व्यस्त मैंने एक ही व्यक्तित्व देखा है, जो कार्योंको निपटाता है, समस्याओंको सुलझाता है व खुशियोंको दोनों हाथ लुटाता है । जो चिन्तनकी घड़ियोंमें, गहन चिन्तन करते हैं, मनन करते हैं, फिर खुद करते हैं, फिर कहते हैं । निपट सीधा-साधा, सरल और सशक्त विचारधारावाला अनूठा व्यक्तित्व डॉ० दरबारीलाल कोठियाजीमें देखनेको मिलता है। अपने व्यक्तित्व व कलमके धनी डॉ० कोठियाजी जिस निष्ठा व ईमानदारीसे समाजसेवाके कार्य में लगे हैं वह अविस्मरणीय है । आपका सम्पूर्ण जीवन शुद्ध आचार, विचार और उच्चारसे समन्वित है। व्यक्तित्वके धनी .श्री विजयकुमार जैन "भारतीय", कटनी (म० प्र०) ___ श्री कोठियाजी अपनी कार्य-क्षमता, श्रमशीलता और पाण्डित्यसे जैन-जगतको उन्होंने जो कुछ भी भेंट किया है, उसके प्रति जितनी भी श्रद्धापूर्ण कृतज्ञता प्रकट की जाय थोड़ी है। भारतकी प्राचीन संस्कृतियोंमेंसे अन्यतम जैन संस्कृतिके साहित्यके ऐतिहासिक, दार्शनिक अनुशीलनके लिए अपनी कृतियों के माध्यमसे जो महत्वपूर्ण कार्य किया है उनमें श्री कोठियाजीका ऊँचा स्थान है। उनका चिन्तन मौलिक, तल-स्पर्शी और उदार है । हमारी कामना है वे बहुत दिनों तक ज्ञानके द्वारा हमारा मार्गप्रदर्शन करते रहें। समर्पित विद्वान श्री महावीर प्रसाद जैन, एडवोकेट, हिसार डॉ० कोठियाजी उच्च कोटिके विद्वान हैं और उन्होंने जो सेवा समाजकी की है और कर रहे हैं वह जैन इतिहास में समाजको याद रहेगी। उनके महत्त्वपूर्ण धार्मिक एवं दार्शनिक ग्रन्थ और लेख समाजका मार्गदर्शन करते रहें हैं और करते रहेंगे। मैं वीर प्रभुसे प्रार्थना करता हूँ कि डॉ० कोठियाजी दीर्घायु होकर समाजकी सेवा करते रहें, मेरी उन्हें हृदयसे शुभ-कामना है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012020
Book TitleDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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