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________________ Jain Education International अभिनन्दन कर हर्ष महान है । पं० बाबूलाल 'फणीश शास्त्री, एम० ए०, ऊन विद्वद् श्रेणी में जिनका, चमक रहा शुभ काम है । दरबारीलालका नाम है ॥ जैन दर्शनके प्रकाण्ड मनीषि, सम्बत् उन्नीस सौ बड़सठको, पावन बनकर आया । आषाढ़ - कृष्ण द्वितीयाका दिन नैनागिरिमें हर्षाया ॥ ज्ञान दीपकी ज्योति जलाने, 'कोठिया वंश को चमकाया। दिन- यूनी और रात चौगुनी, जीवन ज्योतिको दमकाया || खिला 'हजारी' 'चिरोंजा' माँ का सुन्दरतम वरदान है। विद्वद् श्रेणीमें जिनका चमक (२) रहा शुभ नाम है ॥ साडूमल और स्याद्वाद्में, स्याद्वाद - रस पान किया। न्यायाचार्य श्री शास्त्राचार्यका अनुपम तुमने ज्ञान पिया || एम० ए० और पी-एच० डी० करके पद शोभकाम किया । निस्वार्थ भावसे जैन धर्मकी, सेवा व्रतका पान किया || काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में चमकाया निज नाम है। विद्वद् श्रेणीमें जिनका चमक रहा शुभ नाम है ॥ (३) वीर विद्यालय, पपौरा, मथुरा शिक्षा दे कमाल किया । समन्तभद्र दिल्ली बढोतमें वन प्राचार्य ज्ञान दिया ॥ विश्वविद्यालय काशी में जब रीडरपदसे चमकाया । वीर-सेवा-मंदिरको तुमने कर्मठतासे अपनाया || स्वाद्वाद् विद्यालय के आप उपधिष्ठाता महान है । विद्वद् श्रेणी में जिनका चमक रहा शुभ नाम है ॥ (४) प्रमाण - परीक्षा आदि ग्रन्थ में जिनका नाम अमर रहेगा । अनेकान्त और स्वाद्वादसे दिव्य अलौकिक ज्ञान मिलेगा || जैन संदेश और अनेकान्तका सम्पादन कर कमाल किया । महावीरके पथपर चलकर, रत्नत्रय धर्म का शरण लिया | ऐसे परमोपकारी मानवका बाज ॠण समाज महान है। विद्वद्रत्न "श्रीदरबारीलाल" का अभिनन्दन कर हर्ष महान है ॥ " (4) न्यायदीपका आप्तपरीक्षा, सम्पादनका कार्य किया। आध्यात्मकमलमार्तण्ड आदि ग्रन्थका अनुवाद किया ॥ वीतराग वाणीसे, जनको धर्मामृत रसपान दिया । भारतीय संस्कृतिमें तुमने नये नये नित काम किया ।। शत शत वर्ष चिरजीवि बन, नत 'फणीश' का सरल स्वभावी कोठियाजीको विद्वद् पीढ़ीका २६ - For Private & Personal Use Only ललाम है । प्रणाम है । www.jainelibrary.org
SR No.012020
Book TitleDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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