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________________ योगदान उच्चस्तरका • श्री अक्षयकुमार जैन, दिल्ली डॉ० दरबारीलाल जी कोठियासे मैं ३५ वर्षसे परिचित हूँ। जैन दर्शनके विद्वानों में वे उच्चासीन हैं । उनका दर्शन, साहित्य, पत्रकारिता, तथा समाजसेवाका योगदान उच्च स्तरका है । उनका अभिनन्दन किया जाय, इससे अधिक अच्छी बात और क्या होगी। मैं भी उनके दीर्घ एवं स्वस्थ जीवनकी कामना करता हुआ अभिनन्दन करता हूँ। शुभ कामना .५० बंशीधर व्याकरणाचार्य, बीना डॉ० कोठिया अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशनका कार्य स्तुत्य है । गुणीजनोंका अभिनन्दन होना ही चाहिये। मुझे इसकी प्रसन्नता है । मेरी हादिक भावना है कि डॉ० कोठिया जीवनके अन्तिम क्षण तक सामाजिक और साहित्यिक प्रगति पथपर चलते रहें। उनके दीर्घ जीवनकी कामना करता हूँ। चतुमुखी प्रतिमाके धनी .पं० प्रकाश हितैषी' शास्त्री, दिल्ली डॉ० दरबारीलालजी कोठिया न्याय विषयके अप्रतिम प्रतिभाशाली विद्वान हैं । आपने मां सरस्वतीका वेजोड़ बहुमूल्य रत्नोंसे विशाल भण्डार भरा है। आप लेखन, पाठन, प्रकाशन संस्था-संचालन आदिकी चतुर्मुखी प्रतिभाके धनी हैं। आपमें अनुसंधानकी प्रवृत्ति प्रारम्भसे ही रही है, इसीलिए साहित्य-तपस्वी मुख्तार सा० का स्नेहांचल आपको प्राप्त था । संभवतः भारतमें आप प्रथम सुयोग्य साहित्य साधक थे, जिन्हें आपकी प्रौढावस्थामें मुख्तार सा० ने पुत्ररत्न (धर्मपुत्र)के रूपमें स्वीकार कर अपना वरदहस्त आपके ऊपर रखा था । अतः उनकी इच्छाके अनुरूप ही आपने जैन साहित्यको समृद्ध किया है । आपके ऐतिहासिक, दार्शनिक, साहित्यिक एवं सामाजिक निबन्ध पथके प्रदीप बनकर सतत ज्योति प्रदान करते रहेंगे, जिससे अगणित शोधार्थी लाभ उठाते रहेंगे। आपका पांडित्य प्रभावपूर्ण एवं तलस्पर्शी ज्ञानसे ओतप्रोत है । जीवन भी आपका सरल सपाट एवं सतत साहित्य-साधनाके श्रममें संलग्न रहा है। आपकी वाणीमें भी मिश्रीकी मिठास एवं जादू का आकर्षण है। उच्चकोटिके विद्वान् होते हुए भी अभिमान आपको छू भी नहीं सका। यही कारण है कि मनीषीगणोंने आपकी सेवाओंका समुचित ही महत्त्वांकन किया है। विद्वदप्रवर कोठियाजी इसी प्रकार दीर्घकाल तक साहित्यकी सेवा करते रहें, यही मंगल-कामना है। न्यायशास्त्र मर्मज्ञ .पं० नन्हेलाल जैन सिद्धान्तशास्त्री, राजाखेड़ा न्यायाचार्य श्री पं० दरबारीलाल कोठिया दार्शनिक विद्वानोंमें प्रमुख गण्यमान विद्वान् हैं और न्यायशास्त्रके ज्ञानी भी। जैन समाज आपकी विद्वत्तासे परिचित ही नहीं अपितु पूर्ण लाभान्वित है। जैन समाजका सौभाग्य है कि कोठिया जैसे कर्मठ विद्वान् उसे मिले हैं। उनकी विद्वत्ता, कार्यपटुता और विवेकशीलतापर जैन समाजको गर्व है । पूज्य जैनाचार्य और साधु संघमें भी आपके मजे हुए ज्ञानकी ख्याति है। मैं न्यायाचार्य कोठियाजीकी ज्ञान गरिमा और कार्यपटुताकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हुआ उनके दीर्घजीवनकी कामना करता हूँ। -२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012020
Book TitleDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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