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________________ मंगल-कामना .श्री कैलाशचन्द्र जैन, दिल्ली आदरणीय डॉ० दरबारीलालजी कोठिया समाजके गिने-चुने ऊँचे विद्वानोंमेंसे हैं। आपकी दृष्टि हमेशा समन्वयात्मक तथा सम्यक्त्व-युक्त रही है। ___में आदरणीय कोठियाजीकी शतायुकी कामना करता हूँ। देशके मूर्धन्य विद्वान् .लाला रग्घूमल जैन, झाँसी __डॉ० कोठिया सा० हमारे देशके मूर्धन्य विद्वान हैं। आपने अपने जीवन-कालमें कई संस्थाओं में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री और सदस्यके रूपमें अपनी सेवाएं दी हैं। उनकी कर्तव्यनिष्ठासे ये संस्थाएं उन्नत हुईं । तन, मन और धनसे उन्हे सहयोग प्रदान करते हैं । हमने देखा कि आप निर्लोभ वृत्तिके विद्वान् हैं । अपनी आरम्भिक विद्यादात्री संस्था महावीर दि० जैन संस्कृत विद्यालय साढूमलमें वे मुझे अपने साथ ले गये, और वहाँ सर्वप्रथम आपने ११०००० रुपयेका दान दिया। उसके बाद उसकी स्वर्णजयन्ती और हीरक जयन्ती पर भी २५१/०० एवं १००१) रुपया दिया। यह आपकी उदार वृत्ति है। हम आपके शतवर्षजीवी एवं सरस्वतीकी सेवामें लगे रहने को हार्दिक शुभकामना करते हैं । जैन दर्शनके प्रकाण्ड विद्वान् • कृषिपंडित श्रीमन्त सेठ ऋषभकुमार जैन, खुरई न्यायाचार्यकी शासन-मान्य उपाधिसे अलंकृत विद्वत्वर्गमें डॉ० दरबारीलालजी कोठियाका शुभ नाम बड़े ही आदरसे लिया जाता है। वस्तुतः वे जैन दर्शनके एक प्रामाणिक लेखक, प्रवक्ता एवं गवेषी विद्वान हैं । पूज्य श्री गणेशप्रसादजी वर्णीकी परम्पराको अपने अक्षुण्ण रखी है। स्वर्गीय पं० श्री महेन्द्र कुमारजी न्यायाचार्यकी जन्मभूमि होनेका परम सौभाग्य जहाँ हमारे नगर खुरई (जिला सागर) म०प्र० को प्राप्त हुआ वहाँ श्री कोठियाजो सिद्धक्षेत्र श्री रेशन्दिगिरि (नैनागिरि) जीमें जन्म लेकर धन्य हये। अपने सौम्य, सरल व्यक्तित्व और अगाध कृतित्व-प्रतिभाके द्वारा उन्होंने ज्ञानका अखंड दीप जलाया है। समाज द्वारा प्रदत्त मानद उपाधियोंसे भी अलंकृत उनके जीवनका अनुभव अद्वितीय है, समाजगत सेवा भावी संस्थाओं और शिक्षा-संस्थाओंके अतिरिक्त उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसीमें जैन-बौद्ध दर्शनके रीडरपदपर जो अभूतपूर्व प्रतिष्ठा प्राप्त की वह हमारे लिये अत्यन्त गौरवका विषय है। हम एवं खुरई नगरकी जैन समाज उनके इस मंगलमय अभिनन्दन के सुअवसरपर उनके दीर्घायुष्यकी कामना करते हैं । उच्चकोटिके विद्वान् .श्री गणेशीलाल रानीवाला, कोटा न्यायाचार्य डा० दरबारीलालजी कोठिया उच्चकोटिके विद्वान् हैं। आप समाजके भूषण हैं । उनका सभी प्रकारसे अभिनन्दन होना उचित है। दिगम्बर जैन समाजको उनके ऊपर गौरव है। डक्टर सा० शतायु हों, उनकी विद्वतताका लाभ एवं सही मार्गदर्शन समाजको सदैव मिलता रहे, यह ही हादिक भावना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012020
Book TitleDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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