SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २३ समाजरत्न, पद्मश्री आनन्दराज सुराना EX. M. L. A. 'प्राणिमित्र' स्वर्णपदक सम्मानित महामंत्री श्री अ० भा० श्वे० स्था० जैन कान्फ्रेंस भाई श्री सुराना जी आपका कृपा पत्र मिला । परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर श्री आनन्दऋषि जी महाराज के अमृत महोत्सव प्रसंग पर उन्हें अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट करने का उपक्रम हो रहा है यह जानकर प्रसन्नता हुई । आपके सम्पादकत्व में यह कार्य हो रहा है, अतः कार्य उत्तम होगा यह तो विश्वास है । आचार्य प्रवर ने जैन शासन की अकथनीय सेवाएँ की है । धर्म प्रचार के लिए अनेक कष्ट सहनकर सुदीर्घ यात्राएँ की हैं । प्राकृत भाषा एवं जैनधर्म व दर्शन के अध्ययन-अध्यापन तथा प्रचार-प्रसार में उनका योगदान चिरस्मरणीय तो रहेगा ही, सम्पूर्ण जैन समाज के लिए गौरव का विषय भी होगा । ऐसे सन्त आत्मा आचार्य प्रवर के प्रति मेरी कोटि-कोटि विनम्र वन्दना ! Jain Education International -आनन्दराज सुराना फतहसिंह जैन सम्पादक तरुण जैन त्रिपोलिया जोधपुर ( राजस्थान ) प्रिय महोदय, पूज्य आचार्य श्री जी का अभिनन्दन स्थानकवासी जैन समाज के लिए गौरव का विषय है । स्थानकवासी जैन समाज उनकी मूल्यवान सेवाओं के ऋण से अभिनन्दन ग्रन्थ भेंटकर कुछ अंशों में उऋण हो सकेगा । For Private & Personal Use Only संदेश www.jainelibrary.org
SR No.012013
Book TitleAnandrushi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Devendramuni
PublisherMaharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
Publication Year1975
Total Pages824
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy