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________________ शुभकामना Jain Education International ( १६ ) डा० रणबीर सिंह कुलपति प्रिय श्री बारलिंगे, मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि राजस्थानकेसरी अध्यात्म योगी श्री पुष्कर मुनि जी अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति श्री पुष्कर मुनि महाराज जी की साधना के ५४ वर्ष सम्पन्न होने के पावन पर्व पर एक महत्त्वपूर्ण अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित करने जा रही है। इस पावन पर्व पर समिति के इस सराहनीय कार्य के लिए मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें। राज्य मन्त्री गृह मन्त्रालय नई दिल्ली दिनांक २७ जनवरी १६७७ आपका (ह०) सोनुसिंह पाटिल For Private & Personal Use Only उदयपुर विश्वविद्यालय उदयपुर ( Camp : Jaipur) No. PA/UC77/2 ३ दिसम्बर, १६७७ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राजस्थानकेसरी, अध्यात्मयोगी, उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि महाराज जी की यशस्वी व तेजस्वी साधना के ५४ वर्ष सम्पन्न होने पर उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करने का निर्णय लिया गया है। यह अत्यन्त हर्ष की बात है कि इस अवसर पर हम उनके सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रन्थ उन्हें समर्पित करने जा रहे हैं। मानवतावादी दृष्टिकोण को स्थान पर पैदल जाकर इन भारत में जैन श्रमणों ने कई दिशाओं में हमें अपनाने के लिए प्रेरित किया है। एक स्थान से दूसरे विभूतियों ने जन-जन से सम्पर्क स्थापित कर जीने का अहिंसात्मक मार्ग क्या हो इस ओर हम सभी का ध्यान आकर्षित किया है। जैन श्रमण अहिंसा की मूर्ति होते हैं और आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में उनकी भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । मैं श्री पुष्कर मुनि महाराज जी के सार्वजनिक अभिनन्दन के अवसर पर अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ भेजता हूँ। (१०) रणबीर सिंह कुलपति www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
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