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________________ वीरेन्द्र कुमार सखलेचा मुख्यमंत्री (म०प्र०) ( १५ ) मुझे यह जानकर हर्ष हुआ कि राजस्थानकेसरी अध्यात्मयोगी श्री पुष्कर मुनि महाराज की तेजस्वी साधना के ५४ वर्ष पूरे होने पर उनका अभिनन्दन किया जा रहा है। इस अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन भी किया जा रहा है । आ इस अभिनन्दन ग्रन्थ में अध्यात्म, ध्यान तथा योग जैसे विषयों पर आधिकारिक विद्वानों के लेख भी प्रकाशित किये जा रहे हैं जिनसे भारतीय आध्यत्मिक साधना में रुचि रखने वाले सभी क्षेत्र के लोगों को उपयोगी सामग्री प्राप्त होगी। मैं इस अभिनन्दन ग्रन्थ के सफल प्रकाशन की कामना करता हूँ । ( ह०) वीरेन्द्र कुमार सखलेचा ☆ Jain Education International भोपाल दिनांक मार्च ७८ राज्य मंत्री सूचना और प्रसारण भारत नई दिल्ली फरवरी ४, १९७८ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि श्री पुष्कर मुनि महाराज की सफल माधना के फलस्वरूप उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करने का आयोजन किया जा रहा है । आध्यात्मिक ज्ञान तथा योग साधना हमारी संस्कृति की पौराणिक एवं अनुपम देन है यह हर्ष का विषय है कि भी मुनि महाराज जी ने इस दिशा में बड़ा सराहनीय I योगदान दिया है । (ह०) जगबीर सिंह For Private & Personal Use Only संदेश www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
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