SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 503
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्यक्तित्व और कृतित्व ] 'सफेद पत्थर', यह सद्भूत व्यवहार का उदाहरण है शंका- सफेद पत्थर में वर्णगुण की सफेद पर्याय को 'वृहद् द्रव्य-स्वभाव- प्रकाशक नयचक्र' में सद्भूतव्यवहार का विषय कैसे कहा ? स्पष्ट करें ? समाधान- -अशुद्धद्रव्यों में गुरण- गुरणी या पर्याय- पर्यायी को भेदरूप से ग्रहण करना उपचरितसद्भूतव्यवहारनय का विषय है । शुद्धद्रव्यों में गुण- गुणी या पर्याय- पर्यायी को भेदरूप से ग्रहण करना अनुपचरितसद्भूतव्यवहारनय का विषय है । बन्धरूप से प्राप्त एक क्षेत्रावगाही दो द्रव्यों के सम्बन्ध को ग्रहण करना अनुपचरितप्रसद्भूतव्यवहारनय का विषय है। पृथग्भूत दो द्रव्यों के सम्बन्ध को ग्रहण करना उपचरितग्रसद्भूतव्यवहारनय का विषय है । सफेद पत्थर में पत्थर के वर्णगुरण की सफेद पर्याय से प्रयोजन होने के कारण यह सद्भूतव्यवहारनय का विषय है । वर्णगुण की सफेद पर्याय और पत्थर के प्रदेश भिन्न-भिन्न नहीं हैं । यदि भिन्न प्रदेश होते तो श्रसद्भूतव्यवहार का विषय होता । [ १३६७ - पल 16-11-79 / ज. ला. जैन, भीण्डर संश्लेष सम्बन्ध किस नय का विषय है ? शंका- आलापपद्धति सूत्र २१३ में संश्लेषसम्बन्ध को उपचरित असद्भूत व्यवहारनय का विषय कहा गया है, किन्तु सूत्र २२८ में संश्लेषसम्बन्ध को अनुपचरितअसद्भूतव्यवहारनय का विषय कहा गया है, सो कैसे ? समाधान-आलापपद्धति में नयों का कथन सिद्धांत की अपेक्षा और अध्यात्म की अपेक्षा दो प्रकार से किया गया है। सूत्र २१३ में सिद्धांत की अपेक्षा से कथन है । सिद्धान्त में अनुपचरितअसद्भूतव्यवहारनय नहीं है । 1 सूत्र २२८ में अध्यात्म की अपेक्षा से कथन है । अध्यात्म में प्रसद्भूतव्यवहारनय के उपचरित और अनुपचरित ऐसे दो भेद हैं । इसप्रकार विवक्षाभेद से दोनों सूत्रों के कथन - अन्तर हो गया है। दोनों ही अपनीअपनी अपेक्षा से यथार्थ हैं । —जै. ग. 22-4-76 / VIII / जे. एल., जैन श्रागमनय व अध्यात्मनय की तरह प्रमाण के दो भेद नहीं हैं। शंका- जैसे अध्यात्म भाषा से नय कहे जाते हैं तथा आगम भाषा ( आगम-पद्धति ) से भी; वैसे ही क्या प्रमाण के भी दो भेद किये जा सकते हैं या नहीं ? शंका का अभिप्राय यह है कि आगमप्रमाण तथा अध्यात्मप्रमाण; ऐसे दो भेद भी किये जा सकते हैं या नहीं ? कृपया स्पष्ट करें कि धवल कौनसा ग्रन्थ है ? समाधान-आगमप्रमाण तथा अध्यात्मप्रमाण ऐसे प्रमाण के दो भेद मेरे देखने में नहीं आये । धवल भी अध्यात्मग्रन्थ है, ऐसा धवल, पुस्तक संख्या १३ में कहा है । पत्र 28-12-78 / ज. ला. जैन, भीण्डर Jain Education International नय - निक्षेप में अन्तर शंका- निक्षेप और नय में क्या अन्तर है ? समाधान-नामादिक के द्वारा वस्तु में भेद करने के उपाय को न्यास या निक्षेप कहते हैं और ज्ञाता के अभिप्राय को न कहते हैं ( धवल पु. १ पृ. १७ ) । अर्थात् निक्षेप विषय है और नय विषयी है, इसप्रकार इन दोनों में भेद है । - ज. ग. 28-11-63 / IX / र. ला. जैन, मेरठ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012010
Book TitleRatanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
PublisherShivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
Publication Year1989
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy