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________________ व्यक्तित्व और कृतित्व ] [ ५७९ "आत्मार्थव्यतिरिक्तसहायनिरपेक्षत्वाद्वा केवलमसहायम् ।" ( ज.ध. पु. पृ. २३ ) उपयुक्त सर्वज्ञवाणी के विरुद्ध जो अन्यमतों की तरह केवलज्ञान के आधीन पदार्थों का परिणमन मानता है वह सम्यग्दृष्टि नहीं हो सकता, क्योंकि सर्वज्ञवाणी पर उसकी श्रद्धा नहीं है । -प्जें. ग. 11, 25 मार्च तथा 1 और 8 अप्रैल 1965 के अंकों में क्रमशः प्रकाशित कुल, योनि, जन्म कुल और योनि की संख्या शंका-कुल और योनि आदि को आगम में जो संख्या दी है क्या वह निश्चित संख्या है ? उसमें एक-दो, पांच दस की भी कमोबेशी सम्भव नहीं ? समाधान-कुल और योनि आदि की आगम में जो संख्या दी है वह उत्कृष्ट संख्या है अर्थात् उस संख्या से अधिक कुल, योनि आदि नहीं हो सकते हैं । (प. खं. पुस्तक ३/७१ ) -जं. सं. 28-6-56/VI/र. ला. जैन, केकड़ी कुलों की संख्या शंका-गोम्मटसार जीवकाण्ड में कुल कोडि १९७ ॥ लाख बताई है जब कि मूलाचार, हरिवंशपुराण, वरांगचरित्र एवं अनेक हिन्दी ग्रंथों में १९९ ॥ लाख बताई है ऐसा क्यों ? क्या कोई आचार्यपरम्परा भेव है ? धवला, जयधवलावि टीकाओं और पंचसंग्रहादि ग्रंथों का इस विषय में क्या मत है ? श्वेताम्बर सम्प्रदाय में भी १९७॥ लाख को ही मान्यता है। अतः गोम्मटसार का कथन मूलाचार से विरुद्ध होने के कारण कहीं श्वेताम्बर सम्प्रदाय से प्रभावित तो नहीं है शंका आगम में जो मनुष्यों के १४ लाख (गोम्मटसार के अनुसार १२ लाख ) कोटि कुल बताये हैं वे किस तरह सम्भव हैं? कुछ नाम बताने की कृपा करें। समाधान-गोम्मटसार जीवकाण्ड में कुलों का कथन करने वाली गाथायें इस प्रकार हैं बावीस सत्त तिणि य सत्त य कुलकोडिसय सहस्साई। गया पुढविदगागणि, वाउबकायाण परिसंखा ॥११३॥ कोडि सवसहस्साई सत्तढणव य अटवीसं च । बेहविय तेइंविय चारिविय हरिदकायाणं ॥११४॥ मद्धतेरस बारस बसयं कुल कोडिसदसहस्साई। जलचर पक्खि उप्पय उरपरिसप्पेसु णव होति ॥११॥ छप्पंचाधिय वीसं बारसकुलकोडिसवसहस्साई। सुरणेरइयणराणं जहाकम होति याणि ॥११६॥ एया य कोडिकोडी सत्ताणउदीय सदसहस्साई। पणं कोडिसहस्सा सम्वंगीणं कुलाणं य ॥११७॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012009
Book TitleRatanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
PublisherShivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
Publication Year1989
Total Pages918
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size20 MB
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