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________________ उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति ग्रन्थ महास्थविर ताराचन्दजी महाराज का जीवन एक ज्योतिर्मय जीवन था। आप में चारित्रिक पवित्रता, वैचारिक उदारता और दृढ़ता तथा सेवापरायणता के सद्गुणों के सुमन सदा खिलते रहे। आप में अत्यधिक स्फूर्ति थी। अपना कार्य अपने हाथों से करना पसन्द था। लघुमुनियों की सेवा करने में भी आप सदा आगे रहते थे। आपका बिहार क्षेत्र पूर्वाचार्यों की अपेक्षा विस्तृत था। आपने भारत के विविध अंचलों में ६४ वर्षावास किये। उसकी तालिका इस प्रकार है ४५८ जोधपुर (मारवाड़) (मारवाड़) (मारवाड़) रंडेडा (मेवाड़) निंबाहेड़ा (मेवाड़) पाली जालोर सनवाड़ (मेवाड़) भिंडर (मेवाड़) (मेवाड़) गोगुंदा साड़ी सिवाना समदड़ी (मारवाड़) (मारवाड़) (मारवाड़) Jain Education International KOLKA चातुर्मास तालिका (वि. संवत्) १९५०, १९६१, १९७७, २००१ १९५१, १९६२, १९७०, १९८० १९५२, १९६७, १९७५, १९७९, १९८५ १९५३ १९५४ १९५५, १९६६ १९५६ १९५७, १९८८ १९५८, २००८ १९५९, १९६५, १९७८, १९८४, १९८६, १९९९, २००९ १९६०, १९६४, १९६९, १९७१, १९७२, १९७३, १९७४, १९८१, १९८३, १९९८ महास्थविर श्री ताराचन्दजी महाराज के जीवन की संक्षिप्त रूपरेखा यहाँ पर प्रस्तुत की गई है। जिससे विज्ञगण समझ सकते हैं कि उनका व्यक्तित्व कितना तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी था । उनके विराट जीवन को शब्दों में बाँधना बड़ा ही कठिन है। उन्होंने जन-जन के सुषुप्त अन्तर-जीवन को जागृत किया। श्रमणसंघ के (वि. संवत्) सालावास (मारवाड़) १९६३ बालोतरा (मारवाड़) १९६८ बेलबाड़ा (मेवाड़) १९७६ नान्देशमा (मेवाड़) खंडप पीपाड़ दुन्दाड़ा ब्यावर लीमड़ी नासिक मनमाड कम्बोल रायपुर धार घाटकोपर चूड़ा जयपुर दिल्ली १९८२, २००२, २००७ १९८७, १९९७ १९८९, २००0 (मारवाड़) (मारवाड़) (मारवाड़) १९९० (राजपूताना ) १९९१ (गुजरात) १९९२ (महाराष्ट्र) (महाराष्ट्र) (मेवाड़) १९९५ (मारवाड़) १९९९ (मध्य प्रदेश) २००३ (बम्बई) २००५ २००६ (सौराष्ट्र) (राजस्थान) २०१०, २०१२, २०१३ (राजस्थान) २०११ For Piiates Personal Use Only 6000 १९९३, २००४ १९९४ संगठन के लिए भगीरथ प्रयास किया। ग्राम और नगरों में कलहाग्नि का उपशमन किया, शान्ति, सौमनस्य, एकता की स्थापना की, समाज की बुराइयों के विरुद्ध सिंहनाद किया और जैनधर्म के गौरव में चार चाँद लगाये। • साधना के शिखर पुरुष गुरुदेव उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. का जीवनवृत्त खण्ड २ " तल से शिखर तक" में पाठक पढ़ चुके हैं। यहाँ उससे अगली कड़ी उपाध्यायत्री के शिष्यरत्न आचार्यश्री देवेन्द्र मुनिजी का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है। www.jainelibrary.org
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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