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________________ B १७६ उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ । सरस्वती रा पूत सलूणा, शिष्य शिरोमणि देवेन्द्र मुनिवर, विद्या में भरपूर है। महामहिम अभिराम है। प्रगति पथ पर दन-दन बढ़िया, चादर ओढ़ी श्रमणसंघ री, भव्य भाल पर नूर है। आचार्यप्रवर गुणधाम है। जन-जन प्यारा, हार हियारा, अभिनन्दन है, नित वन्दन है, आगे कदम बढ़ाय गया। पावन दर्शन पाय रया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, उपाध्यायश्री पुष्कर गुरुरा, गौरव जग में छाय गया ॥५॥ गौरव जग में छाय गया॥१०॥ . योग मिल्यो है पूर्व पुण्य हुँ, प्रतिभाशाली दिव्य पुण्यवन्त, गुरुवर ताराचन्द्र जी। अन्तिम घड़ियाँ जान लीं। महाप्रतापी महा गुणधारी, त्याग भावना उत्कृष्ट आई, तेजस्वी सुख कन्द जी॥ संथारा री ठान ली॥ दर्शन करता, वाणी सुणता, लिया संथारा, संघ सितारा, रंग वैरागी आय गया। स्वर्गा माही सिधाय गया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, गौरव जग में छाय गया॥६॥ गौरव जग में छाय गया॥११॥ उगणी सौ इक्यासी माही, जीवन आपरो धन्य-धन्य है, मास जेठ रो जाणज्यो। जावाँ नित बलिहारियाँ। शुक्ला दसमी रो यो शुभ दन, पुष्कर गुरुवर, पुष्कर गुरुवर, महान् मंगलिक मानज्यो। नाम जपे नर नारियाँ। संजम लीनो, मोह तज दीनो, समजा आनन्द होवे, मंगल होवे, जीवन उच्च बनाय गया। का याही भावना भाय रया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, - गौरव जग में छाय गया ॥७॥ गौरव जग में छाय गया॥१२॥ पुष्कर मुनिजी नाम अनोखो, श्रमणसंघ रा परम हितैषी, वल्लभ मन में भाया हो। संघ मजबूत बणायो है। उपाध्याय पद सँ शोभित वे, गाँव-गाँव और नगर-नगर में, जप योगी जस गाया हो। संगठन नाद बजायो है॥ घणी सरलता, घणी मधुरता, ज्योति पुञ्ज वे, ज्ञान कुञ्ज वे, वाणी आप सुनाय गया। सन्मारग बतलाय गया। का उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, गौरव जग में छाय गया।॥८॥ गौरव जग में छाय गया॥१३॥ दोय हजार और वर्ष पचास में, श्रद्धा पुष्प चढ़ाऊँ स्वामी, उदियापुर में आया जी। आपश्री रे चरणा में। चादर मोछबरा घर-घर में ट मुगति महल में वेग विराजो, गहरा मोद मनाया जी॥ या ही कामना शरणा में॥ पार न पावाँ, काँई गुण गावाँ, रसिक वणावाँ, गीत सुणावाँ, नव इतिहास बणाय गया। नेणा माही समाय रया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, उपाध्यायश्री पुष्कर गुरुरा, गौरव जग में छाय गया॥९॥ गौरव जग में छाय गया॥१४॥ भOS 205DOODDOG OCG02010008 2500000. owaisjaibelionary.de medalod jitensional o r ONATOR | FOLeo C G02365Private apersonal use onlyso 29.90%acc0000-00-005064
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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