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________________ श्रद्धा का लहराता समन्दर १७५ श्रद्धाञ्जलि पुष्प समर्पित श्रद्धा-पुष्प -उपप्रवर्तक सलाहकार श्री सुकन मुनि जी म. सा. -मगन मुनि 'रसिक' सोरठा गुण गम्भीर संघ साज, सरल स्वभावी आतमा। पुष्कर मुनि महाराज, शत-शत वन्दन मान जो॥१॥ अमरगच्छ अनमोल, श्रमणसंघ में दीपता। वाणी मधुर रस घोल, पुष्कर सम मिलनी कठिन॥२॥ सन्थारो सुखदाय, चेत सुदी दसमी कियो। श्री संघ रे मन भाय, नश्वर तन पावन हुवो॥३॥ कियो अचानक गोन, नव बज चौबिस मिनट में। पुष्कर मुनि हुवे मौन, चटके स्वर्गां चालिया॥४॥ पुष्कर सन्त महन्त, आध्यात्मिक योगी हुवो। धीर वीर मतिवन्त, सखरो संजम पालियो॥५॥ उदयपुर में अस्त, जन जन मन मुरझित हुआ। चढ़ विमाने सन्त, वैकुण्ठा में सिधाविया ॥६॥ (तर्ज-चार दिना रो अठे पावणो ) वीर भूमि रा वीर पुरुष, भारत में नाम कमाय गया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, ___ गौरव जग में छाय गया।टेर॥ गंगा जल ज्यूँ निर्मल जीवन, विरल विभूति नामीजी। अध्यात्म योगी महान् साधक, ज्ञानी अन्तर्यामीजी॥ हिरदे बसिया, तरसे अखियाँ, रोम-रोम में भाय गया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु का, गौरव जग में छाय गया॥१॥ विक्रम संवत् उगणी सौ, सतसठ रो साल सुहावै है। आसोज शुक्ला चवदश रो दन, मनड़ा ने पुलकावे है॥ सूरज चमक्यो, गहरो दमक्यो, जन्म आपश्री पाय गया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा, Pा गौरव जग में छाय गया ॥२॥ मात-पिता बालक ने निरखे, तन, मन खुशियाँ छाय गई। मन मोहन मुखमण्डल प्यारो, सखियाँ मंगल गाय रही। कुल उजियाला, सद्गुण वाला, मुख मुख महिमा गाय रया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु का, गौरव जग में छाय गया ॥३॥ ब्राह्मण कुल में अवतरिया है, सिमटारा शुभ गाम जी। अमरत रे सम मिठो लागे, अम्बालाल जी नाम जी॥ मनड़ा हरिया, गुण हुँ भरिया, प्रबल पुण्य प्रगटाय गया। उपाध्यायश्री पुष्कर गुरु रा गौरव जग में छाय गया॥४॥ आचार्य देवेन्द्र, हीरामुनि गणेश जी। रमेश दिनेश नरेन्द्र, राजादि बिलखा हुआ॥७॥ अम्बेश प्रवर्तक रूप, रमेश कमल सोभागजी। सुकन विनय रवि चूप, प्रेम समागम इत मिला।।८॥ शील, पुष्प लो प्रेम, कुसुम सन्त सती सहु मिलिया। टाल सकिया नहीं टेम, देखत हंसो उड़ गयो॥९॥ स्वर्गां बैठा जाय, आशीर्वाद दिरावजो। सुकन फले मन भाय, सकल कार्य सिद्धि होवे॥१०॥ तव आतम सुख लेहर, यही भावना सुकन री। गुरु मिश्री की मेहर, श्रद्धाञ्जलि अर्पित करूँ ॥११॥ PAPEducation Thermalipglose 2600000000000 www.lamellgary ore 3020606
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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