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________________ २१६ मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ ४०% के बाद गेहूँ ३९% तथा कपास १४% के नाम आते हैं । इस प्रदेश में भी दो फसलें पैदा की जाती हैं जिसमें से खरीफ की फसलें समस्त कृषि भूमि के लगभग ६३% पर पैदा की जाती है । उद्योग 1 औद्योगिक दृष्टि से मालवा प्रदेश मुगलों के शासनकाल से ही बहुत प्रसिद्ध रहा है । मुगल साम्राज्य में गुजरात के पश्चात् इसका दूसरा औद्योगिक महत्व था । कपड़ा, चीनी तथा धातुओं एवं खनिजों पर आधारित अनेकानेक उद्योग वहाँ विकसित हुए परन्तु यहाँ के अधिकांश उद्योग ग्रामीण एवं लघु कुटीर व्यवसायों के रूप में विकसित हुए हैं | अब चम्बल - विद्युत केन्द्र तथा पुनासा परियोजनाओं का विकास हो चुका है। इनसे उज्जैन, इन्दौर, भोपाल तथा खण्डवा आदि में नव-निर्मित औद्योगिक प्रतिष्ठानों का विकास हो रहा है । इनके साथ-साथ इन्दौर, उज्जैन, रतलाम, धार, मन्दसौर तथा देवास में ताप विद्युत घरों की भी स्थापना की गई । मालवा प्रदेश में कृषि पर आधारित उद्योगों में से सूती वस्त्र व्यवसाय सबसे महत्वपूर्ण है । कुल मिलाकर मालवा प्रदेश में १८ मिलें हैं, जिनमें से अधिकांश इन्दौर में स्थित है । इन मिलों में २५,००० श्रमिक कार्य करके ३०७ मिलियन मीटर कपड़े का उत्पादन करते हैं। हथकरघा उद्योग प्रदेश में सर्वत्र बिखरा हुआ है। कपास ओटने की ७० मिलों में लगभग ५००० श्रमिक दिन-रात कार्य कर रहे हैं । इनके अतिरिक्त कपास Card की भी १४ मिलें हैं । मन्दसौर, उज्जैन, रतलाम, सीहोर तथा राजगढ़ की चीनी मिलों में २७०० मीटरी टन उत्पादन होता है । तेल निकालने की लगभग ७० मिलें, उज्जैन, धार, रतलाम, सागर, देवास तथा मन्दसौर आदि शहरों में कार्य कर रही हैं । इटारसी, झालावाड़ तथा मन्दसौर में वनों पर आधारित उद्योगों को विकसित किया जा रहा है । इनमें कागज बोर्ड, लकड़ी चीरने तथा सिल्क उद्योग अधिक उल्लेखनीय हैं। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, रतलाम तथा इन्दौर शहरों में कागज की फैक्टरियाँ संस्थापित की गई हैं । सीहोर में कार्डबोर्ड फैक्टरी तथा इन्दौर में ६ रेशम की मिलें कार्य करने लग गई हैं। भोपाल, रतलाम, नीमच में हड्डियों को पीसने की मिलें स्थापित की गई हैं जिनमें प्रतिदिन ३० टन हड्डी का चूरा होता है। भोपाल तथा उज्जैन में भारी इन्जीनियरिंग एवं विद्युत उपकरणों से सम्बन्धित उद्योग भी स्थापित किये गये हैं । इन्दौर तथा भोपाल में दुग्ध उद्योग भी प्रारम्भ किये गये हैं । मालवा प्रदेश के अन्य उद्योगों में औषधि, साबुन, रसायन, दियासलाई, क्रोकरी, जूता, लकड़ी, ईंट तथा सीमेन्ट उद्योग विशेष उल्लेखनीय है । परिवहन दिल्ली-मद्रास, दिल्ली - बम्बई तथा कलकत्ता - बम्बई को जोड़ने वाले अधिकांश परिवहन मार्ग मालवा प्रदेश से होकर गुजरते हैं । प्रमुख रेलवे लाइन (बम्बई - कलकत्ता) जो इलाहाबाद होती हुई बनाई गई है, इस प्रदेश में से होकर गुजरती है । इटारसी इस प्रदेश का सबसे बड़ा रेल जंक्शन है । यहाँ पर बम्बई - कलकत्ता तथा मद्रास - दिल्ली For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012006
Book TitleMunidwaya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni, Shreechand Surana
PublisherRamesh Jain Sahitya Prakashan Mandir Javra MP
Publication Year1977
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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