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________________ मालवा : एक भौगोलिक परिवेश २१५ इन वनों में सलई, खजूर, महुआ, जामुन, हरी टीक तथा बाँस मुख्य रूप से पाये जाते हैं । इनको आर्थिक उपयोग में लाने के लिए वैज्ञानिक ढंग से प्रयास किये जा रहे हैं। खनिज संसाधन मालवा प्रदेश जिस प्रकार उपजाऊ कृषि युक्त मिट्टी के लिए प्रसिद्ध है उसी प्रकार अनेक प्रकार की खनिज सम्पदा भी इस प्रदेश में पाई जाती है । कोयला, मैगनीज तथा अभ्रक विशेष महत्वपूर्ण खनिजें हैं । तांबा घाटी तथा बेतूल क्षेत्र; कोयला धार, झाबुआ, बांसवाड़ा तथा झालावाड़ में अयश अधिकता से पाई जाती है। झाबुआ और बांसवाड़ा, उदयपुर तथा पश्चिमी निमार में मैगनीज की खाने अधिक पाई जाती हैं। झाबुआ में ही अभ्रक तथा देवास, होशंगाबाद, बाँसवाडा तथा झालावाड में ताम्र अयश की अनेक खानें हैं । गुना तथा विदिशा में बाक्साइट पाई जाती है । चूना का पत्थर, मिट्टी, संगमरमर, काल्साइट, जिन्क, ग्रेफाइट की भी आर्थिक खदानें मालवा प्रदेश में ई जाती हैं। खनिज संपदा के साथ-साथ मालवा-प्रदेश जल-संसाधन की दृष्टि से भी बड़ा धनी है। नर्मदा, चम्बल, माही तथा काली सिन्ध नदियाँ इस प्रदेश की प्राकृतिक संपदा हैं जिनका उपयोग जल-विद्युत उत्पादन एवं सिंचाई के कार्यों में किया जाता है। जल-विद्युत परियोजनाओं में चम्बल घाटी विकास निगम तथा माही परियोजनाएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उपर्युक्त परियोजनाओं के माध्यम से मध्य प्रदेश तथा राजस्थान अपने-अपने प्रमुख नगरों में औद्योगिक विकास पर भी जोर दे रहे हैं। जनसंख्या व मानव बसाव मालवा प्रदेश कम घना (८१ व्यक्ति प्र० वर्ग कि० मी०) बसा हुआ है । जनसंख्या का वितरण भी असमान है। होशंगाबाद, राजपुर, उज्जैन तथा रतलाम आदि क्षेत्र जहाँ अधिक घने बसे हैं वहीं पर विन्ध्यान तीव्र ढाल एवं सतपुड़ा का वनाच्छादित भाग जनविहीन है। इन्दौर, भोपाल तथा रतलाम एवं उज्जैन क्षेत्रों का घनत्व क्रमशः ४४, ६७ तथा १०८ व्यक्ति प्र०व० कि० मी० है। यहाँ की ८१% जनसंख्या ग्रामीण है, जो २७६५० गांवों में निवास कर रही है। जल प्राप्ति के स्थानों पर संहत् तथा मालवा पठार पर अर्ध संहत् बस्तियाँ पाई जाती हैं। आदिवासियों की बस्तियाँ ऐसे क्षेत्रों में पाई जाती हैं जहाँ पहुँचना बड़ा कठिन है । इस प्रदेश के अधिकांश शहरों का प्रादुर्भाव गाँवों से हुआ है । अधिकांश शहर नदियों के तटों अथवा प्राचीन राजपथों पर स्थित हैं। शहरों का विकास विगत दो दशकों में अधिक हुआ है। उज्जैन (२०८५६१), इन्दौर (५६०९३६), खण्डवा (१८५४०३), भोपाल (३०४५५०), सिहोर (३६१३६) मालवा प्रदेश के कतिपय शहर हैं । मुसलमानों के शासनकाल में मालवा के अधिकांश शहरों को अपने विनाश अथवा ह्रास का सामना करना पड़ा था। कृषि उपज इस प्रदेश के लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन कृषि है। इस प्रदेश की लगभग ६६% भूमि पर खेती की जाती है । ज्वार इस प्रदेश की सर्वप्रमुख फसल है। ज्वार For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.012006
Book TitleMunidwaya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni, Shreechand Surana
PublisherRamesh Jain Sahitya Prakashan Mandir Javra MP
Publication Year1977
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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