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________________ ३४००० ५००० ४९४ : सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दन-ग्रन्थ टीकाएँ लिखीं हैं उनकी तालिका बहत बड़ी है। ऐसी एक तालिका आत्मानन्द जैन ग्रन्थमालासे प्रकाशित होनेवाले ८६वें रत्नकी प्रस्तावनामें छपी है । पाठकोंकी जानकारीके लिये उसे हम यहाँ दे रहे हैं । नाम श्लोकप्रमाण १. भगवती सूत्र द्वितीय शतकवृत्ति ३७५० २. राजप्रश्नीयोपाङ्गटीका ३७०० मुद्रित ३. जीवाभिगमोपाङ्गटीका १६००० ॥ ४. प्रज्ञापनोपाङ्गटीका १६००० , ५. चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गटीका ९५०० ६. नन्दीसूत्रटीका ७७३२ ॥ ७. सूर्यप्रज्ञप्त्युपांगटीका ९५०० , ८. व्यवहारसूत्रवृत्ति ९. बृहत्कल्पपीठिकावृत्ति अपूर्ण ४६०० १०. आवश्यकवृत्ति , १८००० ११ पिण्डनियुक्त टीका ६७०० १२. ज्योतिष्करण्ड टीका १३. धर्मसंग्रहणी वृत्ति १०००० १४. कर्मप्रकृति वृत्ति १५. पंचसंग्रहवृत्ति १८८५० , १६. षडशीतिवृत्ति २००० १७. सप्ततिकावृत्ति ३७८० १८. बृहत्संग्रहणीवृत्ति ५००० १९. बृहत्क्षेत्रसमासवृत्ति ९५०० " २०. मलयगिरिशब्दानुशासन ५००० (?) अलभ्यग्रन्थ १. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति टीका ४. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र टीका २. ओघनियुक्ति टीका ५. धर्मसारप्रकरण टीका ३. विशेषावश्यक टीका ६. देवेन्द्रनरकेन्द्रकप्रकरण टीका मलयगिरि सूरिकी टीकाओंको देखनेसे मन पर यह छाप लगती है कि वे प्रत्येक विषयका बड़ी ही सरलताके साथ प्रतिपादन करते हैं। जहाँ भी वे नये विषयका संकेत करते हैं वहाँ उसकी पुष्टिमें प्रमाण अवश्य देते हैं। उदाहरणार्थ मूल सप्ततिकासे यह सिद्ध नहीं होता कि स्त्रीवेदी जीव मरकर सम्यग्दृष्टियोंमें उत्पन्न होता है। दिगम्बर परम्पराकी यह निरपवाद मान्यता है। श्वेताम्बर मूल ग्रन्थोंमें भी यह मान्यता इसी प्रकार पाई जाती है। किन्तु श्वेताम्बर टीकाकारोंने इस मतको निरपवाद नहीं माना है । उनका कहना है कि इस कथनका सप्ततिकामें बहुलताकी अपेक्षा निर्देश किया गया है। आचार्य मलयगिरिने भी अपनी वृत्तिमें इसी पद्धतिका अनुसरण किया है। किन्तु इसकी पुष्टिमें तत्काल उन्होंने चूणिका सहारा ले लिया है। इसमें सप्ततिका चूणिका उपयोग तो किया ही गया है, किन्तु इसके अलावा सिद्धहेम, तत्त्वार्थाधिगमकी सिद्ध ८००० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012004
Book TitleFulchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain, Kailashchandra Shastri
PublisherSiddhantacharya Pt Fulchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Varanasi
Publication Year1985
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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